@विनोद भगत
उत्तराखंड में मुख्य विपक्षी दल कौन सा है? अगर यह सवाल पूछा जाये तो सबका जबाब यही होगा कि कांग्रेस ही मुख्य विपक्षी दल है। पर पिछले 4 वर्ष से सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ कांग्रेस की विपक्षी धार कुंद होती नजर आई है। कारण कांग्रेस के अंतर्विरोध के चलते पार्टी एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभा पाने में कामयाब नहीं हो पाई। विपक्षी दल कांग्रेस जरूर है पर भाजपा की नीतियों का विरोध करने से ज्यादा कांग्रेस में अपने ही नेताओं के बीच तलवारें खिंचती रही। यहाँ तक कि कई बार कांग्रेस के नेताओं के बयान अहसास दिलाते हैं कि वह मित्र विपक्ष की भूमिका में है।
कांग्रेस का अंतर्विरोध भाजपा की सत्ता में वापसी में सहायक साबित हो रहा है। लेकिन एकाएक अरविंद केजरीवाल की पार्टी आम आदमी पार्टी ने उत्तराखंड में चुनावी समर में कूदने की घोषणा कर भाजपा की सत्ता में वापसी पर संशय के बादल खड़े कर दिये हैं। कांग्रेस के विपरीत आम आदमी पार्टी जिस तरह से सत्तासीन भाजपा पर हमलावर हो रही है उससे तो यही लगता है कि भाजपा के दोबारा विजय रथ पर आम आदमी पार्टी अपनी तरफ से ब्रेक लगा सकती है। हालांकि अभी समय है एकदम से किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता है। लेकिन इतना तो तय है कि फिलहाल आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से मुख्य विपक्षी दल का दर्जा छीन लिया है।
इधर सत्ताधारी भाजपा आम आदमी पार्टी की संभावनाओं को सिरे से ही नकार रही है। याद दिला दें कि दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी को लेकर भाजपा व कांग्रेस ने सारी संभावनाओं को शून्य पर आंका था। लेकिन अरविंद केजरीवाल की रणनीति ने सभी संभावनाओं को धता बताते हुए प्रचंड जीत हासिल कर पूरे देश को चौंका दिया था।
दिल्ली में केजरीवाल के विरूद्ध भाजपा ने तमाम तरीके से यहाँ तक कि आतंकी अराजक और मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाला नेता बताकर खूब प्रचार किया था। हालांकि अभी भी केजरीवाल की पार्टी के विरोध में प्रचार की वही रणनीति भाजपा की रही है। सोशल मीडिया पर तो इस कदर केजरीवाल और उनकी पार्टी पर टिप्पणी की जाती है जो कि सभ्यता और मर्यादाएं तक लांघ दी जाती है।
इसके बावजूद कम समय में ही अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने उत्तराखंड में अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज करा के अपने विरोधियों के कान खड़े कर दिए हैं।