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दिल्ली विधानसभा चुनावी हलचल : कांग्रेस बहुत पीछे, भाजपा के पास चेहरा नहीं, आप की स्थिति फिलहाल बेहतर

दिल्ली का सियासी दंगल अब जोरों पर है। झाड़ू चुनाव चिन्ह है आम आदमी पार्टी का पर उसका उपयोग सिखा रहे हैं नरेंद्र मोदी मजे की बात यह है उसके लिए हाथ का पंजा होना जरूरी है। वही पंजा सबसे पीछे नजर आ रहा है। दिल्ली के सियासी दंगल पर संपादक विनोद भगत और दिल्ली से वरिष्ठ संवाददाता वेद भदोला की रिपोर्ट

आठ फरवरी को होने जा रहे दिल्ली विधानसभा चुनाव में बारह आरक्षित सीटों पर सबकी नजर है। हालांकि सभी दल पूरी विधानसभा सीटों पर जीत के लिए दम भर रही है। पर दिल्ली की सत्ता की सीढ़ी तक पहुंचाने वाली  12 आरक्षित सीटों पर  राजनीतिक दलों की नजर है। हो भी क्यों न। दरअसल पिछले चुनावी आंकड़ों के हिसाब से  जो दल इन सीट को अपने पक्ष में करने में सफल रहा, वही सत्ता पर काबिज हुआ। ये बारह सीटें हैं अंबेडकर नगर, त्रिलोकपुरी, करोल बाग, पटेल नगर, सीमापुरी, मंगोलपुरी, सुल्तानपुर माजरा, मादीपुर, गोकलपुर, बवाना, देवली और कोंडली सीट। 

एक समय था जब कांग्रेस का इन सीटों पर दबदबा बरकरार था।  वर्ष 2008 तक के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस यहाँ काबिज रही । मौजूदा समय में सभी सीटें आप के कब्जे में हैं। तीनों राजनीतिक दल इन सीट पर जीत हासिल करने में जुटे हैं। दिल्ली की 70 विधानसभा सीट में से 12 आरक्षित हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इन सीट पर ज्यादातर झुग्गी झोपड़ियां और कच्ची कॉलोनियां पड़ती हैं।

गौर करने वाली बात यह है कि जिस दल का यहाँ वर्चस्व रहता है उसका आसपास की अन्यसीसीटों पर असर पड़ता है इसी वजह से राजनीतिक दल यहाँ हर हाल में जीत के लिए जुट जाते हैं।  बीते चुनावों से ही ये ट्रेंड बरकरार रहा है।  इन 12 सीट में अधिकतर सीट एक ही राजनीतिक दल के पास होती हैं। यही वजह है कि वह पार्टी में सत्ता में रही है।  भाजपा इन 12 सीट पर सबसे कमजोर रही है। भाजपा की सबसे बड़ी कमी है कि राज्य विधानसभा चुनावों के लिए उसके पास कोई चेहरा नहीं है। मनोज तिवारी को चेहरा बना पाने में भाजपा नाकाम साबित हो रही है। मनोज तिवारी खुद मोदी के चेहरे पर चुनाव जीतकर सासंद बने हैं। 

पार्टी के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह  दिल्ली में आम आदमी पार्टी को मात देने के लिए ‘मोदी मैजिक’ पर भरोसा कर रहे हैं। जनवरी के शुरुआती हफ़्ते में दिल्ली की एक रैली में उन्होंने कहा, “जहां पर भी मैं जाता हूं, वहां पूछते हैं, दिल्ली में क्या होगा? मैं आज आप सबके सामने जवाब दे देता हूं दिल्ली में नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने वाली है। इससे साफ जाहिर हो जाता है कि दिल्ली में भाजपा के पास कोई चेहरा नहीं है। मोदी केंद्र में सरकार बनाने के लिए तो सर्वमान्य चेहरा हो सकते हैं लेकिन राज्य विधानसभा चुनावों में अभी फिलहाल केजरीवाल ही एकमात्र चेहरा हैं। भाजपा भी केजरीवाल पर ही चुनावी हमले कर इस बात को साबित कर रही है। यहाँ कांग्रेस अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। स्व शीला दीक्षित के बाद कांग्रेस दिल्ली में चेहरा तलाश रही है। 

बता दें कि साल 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली करारी हार के जख्म आज भी टीस के रूप में उभर रहे हैं। ऐसे में अमित शाह अरविंद केजरीवाल को यह कहते हुए  ख़ारिज करते हैं कि झांसा कोई किसी को कोई एक ही बार दे सकता है। बार-बार नहीं दे सकता।      वह उदाहरण  देते हैं कि दिल्ली नगर निगम के चुनाव में आप पार्टी (आम आदमी पार्टी) का सूपड़ा साफ़ हो गया। 2019 के चुनावों में दिल्ली के 13750 बूथों में से 12064 बूथ पर भारतीय जनता पार्टी का झंडा फहराने का काम मेरे कार्यकर्ताओं ने किया। 88 प्रतिशत बूथों पर भारतीय जनता पार्टी ने विजय प्राप्त की है। 

अब बात की जाये मुुद्दों की तो आरक्षित सीट वाली विधानसभाओं में पड़ने वाले इलाकों में बुनियादी सुविधाएं सबसे बड़ा मुद्दा है। इनमें कच्ची कॉलोनियां और जेजे कॉलोनी आती हैं। यहां के लोग अब भी सीवर, पानी जैसी सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं। यही कारण है कि बीजेपी इन सीटों पर कच्ची कॉलोनी पास किए जाने का मुद्दा भुना रही है। वहीं, आम आदमी पार्टी का कहना है कि उसने इन इलाकों में पहले ही बहुत काम किया है।

इन 12 आरक्षित सीटों पर तीनों दलों ने  युवा 40 साल से कम उम्र के आठ उम्मीदवार उतारे हैं। आप ने चार, कांग्रेस ने दो और बीजेपी ने एक उम्मीदवार 40 साल से कम का उतारा है। सबसे कम उम्र के उम्मीदवार 30 वर्षीय कुलदीप कुमार कोंडली विधानसभा से मैदान में हैं। जबकि, साठ साल से अधिक उम्र के उम्मीदवार उतारने वालों में सबसे आगे कांग्रेस हैं। उसने कुल छह ऐसे अनुभवी उम्मीदवारों को उतारा है। यह दिल्ली में दो से तीन बार विधायक भी रह चुके हैं। वहीं तीनों दलों में 40 से 60 साल की उम्र वाले 22 उम्मीदवार मैदान में हैं। इसमें आप से सात, बीजेपी से 11 और कांग्रेस से चार उम्मीदवार शामिल हैं। कांग्रेस के सीमापुरी से विधायक 66 वर्षीय वीर सिंह धीगांन इन सीटों में सबसे अधिक उम्र के उम्मीदवार हैं।

बीजेपी इन सीट को जीतने के लिए काफी लंबे समय से काम कर रही है। प्रदेश के कई बड़े नेता चुनाव घोषणा के पहले से ही ऐसी सीट की कॉलोनियों में रात्रि प्रवास कर रहे हैं। इसके अलावा छोटी-छोटी सभाओं पर भी जोर दिया जा रहा है। इस बार पार्टी ने एक सीट लोक जनशक्ति पार्टी को भी दी है। आप इन सीटों को मुफ्त योजनाओं के जरिए साधने में लगी है। क्योंकि, यहां कि अधिकतम आबादी को मुफ्त बिजली, पानी और महिला बस यात्रा का सीधा फायदा मिल रहा है। वहीं कांग्रेस अपने पुराने दिग्गज नेताओं के जरिए इन सीट को फिर जीतने की ताल ठोक रही है। इसलिए कृष्णा तीरथ, अमरीश गौतम, वीर सिंह धींगान, अरविंद सिंह जैसे उम्मीदवारों को टिकट दिया है।

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