@शब्द दूत ब्यूरो (14 नवंबर 2024)
केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव पर जहां कांग्रेस एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। वहीं सत्ताधारी दल होने के बावजूद भाजपा इस सीट पर मुश्किल में दिखाई दे रही है। दरअसल दिवंगत विधायक स्व शैलारानी रावत की पुत्री ऐश्वर्य रावत की नाराजगी यहाँ भाजपा के लिए खतरे की घंटी बन गई है। उधर मनोज रावत कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में सामने हैं। मनोज रावत कांग्रेस पार्टी का ऐसा चेहरा हैं जो उत्तराखंड की राजनीति में एक निर्विवाद नेता के रूप में जाने जाते हैं। उनकी छवि आम नेताओं से अलग है। ऐसे में भाजपा के लिए खासतौर पर सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए प्रतिष्ठा का सीट बन गयी है। सीएम धामी के कार्यकाल में भाजपा लगातार जीत की इबारत लिखती रही है पर इस बार यहाँ भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल के लिए इस सीट पर कड़ी चुनौती है। उपचुनाव का परिणाम तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन मुकाबला कांटे का है इसमें कोई शक नहीं है।
इस चुनाव में कांग्रेस अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन की वापसी करना चाहती है। खास बात यह है कि अभी तक जितने भी चुनाव इस सीट पर हुये हैं उसमें भाजपा और कांग्रेस की सीधी टक्कर होती है और इस बार भी इतिहास बदला नहीं है।
इस विधानसभा सीट पर कई मुद्दे हैं लेकिन रोजगार, सड़क और सबसे महत्वपूर्ण केदारनाथ यात्रा का मुद्दा है क्योंकि केदारनाथ यात्रा इस क्षेत्र की आर्थिक की रीढ़ है। कांग्रेस के प्रत्याशी मनोज रावत जीत का दावा कर रहे हैं और बीजेपी पर हमला करते हुए कहते है कि सत्ता में बीजेपी की सरकार है। लेकिन इस क्षेत्र का विकास नहीं हुआ है इसके अलावा केदारनाथ यात्रा भी एक इस चुनाव का मुद्दा है।
उधर भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल भी अपनी जीत के प्रति आश्वस्त है आशा नौटियाल रहती है कि केंद्र और राज्य की सरकार ने लगातार विकास किया है कांग्रेस सिर्फ जनता को भ्रमित कर रही है।
केदारनाथ विधानसभा सीट की हम अयोध्या की सीट से तुलना कर सकते हैं। अयोध्या की तरह केदारनाथ का भी धार्मिक महत्व है। 20 नवंबर को मतदान के बाद 23 नवंबर को परिणाम आयेगा। अब तक के चुनाव की बात करें तो इस सीट पर अब तक पांच बार चुनाव हुए हैं, जिसमें बीजेपी तीन बार और कांग्रेस ने दो बार जीत हासिल की है।