नई दिल्ली। उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री हरक समेत पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत व एक चैनल मालिक उमेश कुमार पर विधायक खरीद फरोख्त मामले में आज सीबीआई ने एफआईआर दर्ज करा दी है। सीबीआई की इस कार्रवाई में सरकार के केबिनेट मंत्री भी फंस गये हैं।
बता दें कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग मामले में सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने की छूट दे दी थी। जिसके बाद आज सीबीआई ने इस मामले में हरीश रावत सहित तीन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। सीबीआई ने हरीश रावत, हरक सिंह रावत और समाचार प्लस चैनल के सीईओ उमेश कुमार के खिलाफ आपराधिक षणयंत्र रचने की धाराओं में मामला दर्ज किया है।
बीती 30 सितम्बर को उच्च न्यायालय नैनीताल ने इस मामले में सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने की छूट दे दी थी. इसके बाद हरीश रावत की मुश्किलें बढ़ गई हैं। साथ ही कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत भी मुश्किल में आ गए हैं। तीनों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र की गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया है।
2016 में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और हरक सिंह रावत के नेतृत्व में नौ कांग्रेस विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ बगावत कर दी थी। तब राज्य में हरीश रावत की सरकार को इस्तीफा देना पड़ा था। बाद में न्यायालय के आदेश से पुनः रावत सरकार सत्ता में लौट आई थी। इस बीच एक नाटकीय घटनाक्रम में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के एक निजी चैनल के मालिक ने हरीश रावत का स्टिंग किया था जिसमें हरीश रावत विधायकों की खरीद-फरोख़्त की बात करते दिखाई दिए थे।
तब राज्यपाल ने स्टिंग को देखते हुए सी बीआई जांच की सिफ़ारिश की थी। बाद में जब रावत की सरकार बहाल हो गई तो हरीश रावत ने इस केस की जांच सीबीआई के बजाय एसआईटी से करवाने की सिफारिश की थी, लेकिन यह मामला सीबीआई के पास ही रहा।
हरीश रावत गिरफ़्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट की शरण में चले गए थे और हाईकोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया था कि कोई भी कार्रवाई करने से पहले वह कोर्ट से अनुमति ले। तीन सितंबर को सीबीआई ने हाईकोर्ट को यह जानकारी दी थी कि उसने इस केस की जांच पूरी कर ली है और वह जल्द ही इस मामले में एफ़आईआर दर्ज करना चाहती है।