@शब्द दूत ब्यूरो (14 मार्च, 2024)
मंडी। प्रदेश के जनजातीय जिला लाहौल स्पीति का अब विश्व से छह माह तक कटे रहना बीते कल की बात हो गई। अटल टनल रोहतांग से लाहौल के लोगों की वर्षों की दुश्वारियां दूर हो गई। टनल बनने से पर्यटन को पंख लगे हैं, लोगों की जिंदगी भी आसान हुई है। दो दशक पूर्व देखे गए सपने के धरातल पर उतरने से भारतीय सेना को सामरिक दृष्टि से मजबूती मिली है।
पर्यटकों की दस्तक से लाहौल-स्पीति के लोगों की आर्थिकी भी बदली है। कभी छह माह तक शेष विश्व से कटी रहने वाली लाहौल घाटी अब सारा साल आवागमन के लिए खुली है। यहां के किसानों और बागवानों के उत्पाद अब अन्य राज्यों की मंडियों में समय पर और कम लागत में पहुंच रहे हैं। स्वरोजगार के नए अवसर सृजित होने से यहां के लोगों का पलायन भी थमा है। सिस्सू सहित लाहौल स्पीति के कई अन्य अनछुए स्थल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने हैं।
मनाली के बाद अब सिस्सू पर्यटकों में चर्चा का विषय बना है। लाहौल स्पीति के जिला मुख्यालय केलंग से मनाली का सफर अब महज दो घंटे का रह गया है। करीब 46 किलोमीटर दूरी कम हुई है। अटल टनल के निर्माण का सपना तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी ने देखा था। इसे धरातल पर उतारने का काम अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था। टनल का काम नरेन्द्र मोदी सरकार के कार्यकाल में पूरा हुआ था।
पीर-पंजाल की पहाड़ी को भेद कर 3200 करोड़ की लागत से यह सुरंग बनी है। पीर पंजाल की पहाड़ी का सीना चिर कर 3200 करोड़ की लागत से बनी 9.2 किलोमीटर टनल का शुभारंभ तीन अक्टूबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। प्रदेश के लोगों को आवागमन की बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए मोदी सरकार 436847 करोड़ की लागत से 785 किलोमीटर लंबी 31 सड़क परियोजनाओं पर काम कर रही है।