काशीपुर । पिछले 43 वर्षों से उत्तराखंड की सबसे बड़ी भव्य धार्मिक शोभायात्रा आज अष्टमी के दिन शाम 4 बजे से मौहल्ला लाहौरियान स्थित मां मंसा देवी मंदिर से प्रारंभ हुई। कहा जाता है कि नवरात्र की अष्टमी को मंसा देवी अपनी बहन चामुंडा देवी से मिलने जाती है।शोभायात्रा के शुभारम्भ से पूर्व प्रातः मंसा देवी मंदिर में पूजा-अर्चना की गई। दोपहर में काबीना मंत्री यशपाल आर्या ने शोभायात्रा का शुभारम्भ किया।
शोभायात्रा में स्थानीय झांकियों के साथ देशभर से आई झांकियों ने मन मोह लिया। शोभायात्रा के शुरू में नौ घोड़े सजे हुए चल रहे थे। कुमांऊनी छोलिया नृत्य तथा महावीर अखाड़े के द्वारा शानदार कलाबाजी को लोगों ने पसंद किया। इसके अतिरिक्त शिव पार्वती श्रीगणेश व अन्य देवी-देवताओं की मनमोहक झांकियां आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी। उधर सेना के जवानों की झांकी भी पसंद की गई। शोभायात्रा में नृत्य कला का भी प्रदर्शन किया गया। इस दौरान मुरैना (मध्य प्रदेश), फिरोजाबाद, इटावा, पानीपत, एटा, हाथरस, जालंधर, रामपुर, फरूखाबाद से लगभग 94 झांकियों के अलावा 12 बैंड और पांच अखाड़े अलग-अलग शहरों से शामिल थे। शोभायात्रा के मार्ग में तमाम संगठनों ने प्रसाद वितरण कर स्वागत किया।
बता दें कि मां मंसा देवी शोभायात्रा की शुरुआत रमेश चंद्र शर्मा उर्फ खुट्टू मास्टर साहब ने वर्ष 1975 में की थी। यह 44वां वार्षिकोत्सव मनाया जा रहा है। अब उनके पुत्र विकास शर्मा खुट्टू इस शोभा यात्रा को समिति के साथ संचालित करते हैं।
उधर शोभायात्रा को लेकर पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था की कमान संभाली। चप्पे-चप्पे पर पुलिस की नजर डोले के नगर भ्रमण के दौरान सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई थी। जिन-जिन स्थानों से डोले को गुजरना था वहां पुलिस के जवान तैनात थे। यातायात व्यवस्था बाधित न हो इसके लिए भी पूर्व निर्धारित स्थानों से रूट डायवर्ट किया गया था। साथ ही चप्पे-चप्पे पर नजर रखे हुए थी।