नैनीताल। सरोवर नगरी को वाहनों के प्रदूषण एवं दबाव से बचाने के साथ ही संतुलनीय पर्यावरण बनाए रखने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार रानीबाग से हनुमानगढ़ी तक रोपवे बनाने की कवायद में जुटी है। इसके अलावा देहरादून से मसूरी के बीच भी रोपवे बनाये जाने का काम किया जायेगा। मसूरी और नैनीताल उत्तराखण्ड पर्यटकों के प्रिय स्थल है। पर्यटन सीजन में पर्यटक बड़ी संख्या में इन स्थलों पर आते हैं और प्राकृतिक सौन्दर्य का आनन्द लेते है। मसूरी तथा रानीबाग से नैनीताल रोपवे प्रोजेक्टों का नैतृत्व सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर द्वारा किया जा रहा है। रानीबाग-नैनीताल रोपवे निर्माण के सम्बन्ध में सचिव पर्यटन श्री जावलकर तथा आयुक्त कुमाऊॅ मण्डल राजीव रौतेला के मध्य एक महत्वपूर्ण बैठक एलडीए सभागार में सम्पन्न हुई। इस बैठक में प्रशानिक एवं राजस्व अधिकारी भी मौजूद थे।बैठक में जानकारी देते हुए सचिव श्री जावलकर ने बताया कि पर्वतीय पर्यटक स्थलों पर रोपवे आज की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इन रोपवे के निर्माण से पर्यटकों को खासी सुविधा होगी तथा वाहनों का दबाव भी नैनीताल में कम होगा। जिससे पार्किंग की समस्या का समाधान भी होगा। उन्होंने बताया कि इस रोपवे के निर्माण पर लगभग 600 करोड़ की धनराशि व्यय होगी। रानीबाग से हनुमानगढ़ी तक आने वाले रोपवे में एचएमटी रानीबाग, डोलमार, ज्योलीकोट तथा हनुमानगढ़ी मन्दिर के समीप स्थित पार्क की भूमि की आवश्यकता होगी। भूमि के चयन एवं परीक्षण तथा स्थानान्तरण एवं सर्वे का कार्य गतिमान है। दिलीप जावलकर ने कहा कि प्रस्तावित रोपवे पारिस्थितिकी (इकोलोजिक) दृष्टि से महत्वपूर्ण है। रोपवे के बन जाने से ट्रैफिक कम होगा तथा जाम की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी और वाहनों का आवागमन कम होगा। जिस कारण पर्यावरण प्रदूषण भी कम होने के साथ ही नैनीताल की यात्रा 30 मिनट में पूरी होगी। उन्होंने बताया कि इस रोपवे प्रोजेक्ट का कार्य पोमा प्राईवेट लिमिटेड को सौंपा गया है। इस संस्था द्वारा देश-विदेशों में कई रोपवे बनाए हैं।
बैठक में आयुक्त कुमाऊॅ मण्डल राजीव रौतेला ने रोपवे निर्माण के लिए भूमि से सम्बन्धित कार्यों में तेजी लाने के लिए अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व एसएस जंगपांगी को नोडल अधिकारी तथा एसडीएम नैनीताल को प्रभारी अधिकारी नामित किया। उन्होंने नोडल अधिकरी श्री जंगपांगी को चिन्हित भूमि-क्षेत्र का नज़रिया नक्शा तैयार कराने तथा सभी राजस्व नक्शों को मिलाकर एक नक्शा बनवाने तथा भूमि की मालिकाना स्थिति का भी विस्तृत ब्यौरा तैयार करने, ज्योलीकोट में स्थित उत्तर प्रदेश उद्यान विभाग की भूमि के हस्तान्तरण के लिए शीघ्र पत्राचार करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने विभिन्न विभागों के अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि प्रस्तावित रोपवे मार्ग में यदि कोई कार्य स्वीकृत है तो उसके लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना सुनिश्चित करें।
पोमा तथा सीबीआरई साउथ एशिया संस्था के प्रतिनिधियों शारिक खान, आरोहन मैदीरत्ता ने बताया कि रोपवे तथा अन्य ढांचा निर्माण में हेतु लगभग 600 करोड़ रूपये का व्यय होगा। उन्होंने बताया कि रोपवे निर्माण के लिए चिन्हित क्षेत्र का कम्पनी द्वारा टोपोग्राफिकल सर्वे किया जा चुका है। पर्यावरणीय प्रभावों का अध्ययन किया जा रहा है तथा विस्तृत कार्य योजना तैयार की जा रही है जो जल्द ही शासन को सौंपी जाएगी।
बैठक में जिलाधिकारी सविन बंसल, प्रबन्ध निदेशक केएमवीएन रोहित मीणा, प्रभागीय वनाधिकारी टीआर बीजुलाल, अपर जिलाधिकारी एसएस जंगपांगी, सचिव प्राधिकरण हरबीर सिंह, उप जिलाधिकारी विनोद कुमार, जिला पर्यटन विका अधिकारी अरविन्द गौड़, अधिशासी अभियंता विद्युत सैयद उसमान, अधिशासी अभियंता लोनिवि डीएस बसनाल आदि मौजूद थे।
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