@विनोद भगत
काशीपुर । उत्तराखंड में फिल्मों को दर्शकों का टोटा होने की वजह से यहाँ फिल्में सफल नहीं हो पाती। यह कहना है हिन्दी और उत्तराखंड की क्षेत्रीय भाषाओं में बनी फिल्मों में अपने अभिनय से छाप छोड़ने वाले मशहूर अभिनेता अनिल घिल्डियाल का। लंबे अर्से से रंगमंच और सिनेमा में अपनी उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले अनिल घिल्डियाल बीते रोज काशीपुर में अपने पारिवारिक मित्र डॉ आर के सुन्दरियाल के निवास पर पहुंचे थे।
इस अवसर पर शब्द दूत संपादक विनोद भगत ने उनसे उत्तराखंड की क्षेत्रीय फिल्मों की स्थिति पर बातचीत की। अनिल घिल्डियाल का मानना है कि उत्तराखंड में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। लेकिन सही मार्गदर्शन और अपेक्षाकृत कम तकनीकी जानकारी के चलते यहाँ की भाषाओं में निर्मित फिल्मों को वह मुकाम नहीं मिल पाता जो कि अन्य प्रदेशों की क्षेत्रीय फिल्मों को मिल जाता है। घिल्डियाल का कहना है कि सरकार को भी उत्तराखंड के फिल्मकारों के लिए सुविधाजनक माहौल बनाना होगा। अनिल घिल्डियाल कहते हैं कि सरकार की ओर से प्रयास तो किये जाते हैं। पर हर किसी की वहाँ तक पहुंच नहीं हो पाती।
राज्य के सिनेमाघरों में फिल्में कम ही लग पाती है। इसका मुख्य कारण है कि उत्तराखंड की फिल्मों को दर्शक नहीं मिल पाते जिससे सिनेमाघरों को मुनाफा नहीं होता। अनिल घिल्डियाल कहते हैं कि अपनी संस्कृति और भाषा में बनी फिल्मों को राज्य की जनता अधिक से अधिक देखने जाये तो फिल्मकार के साथ-साथ सिनेमाघरों को प्रोत्साहन मिलेगा।
फौजी बाबू, राजुला मालूशाही, गदेरा समेत तमाम कुमांऊनी गढ़वाली फिल्मों में नायक की भूमिका निभा चुके अनिल घिल्डियाल भारत सरकार के गीत एवं नाट्य प्रभाग से सेवा निवृत्त हैं। रंगमंच पर भी उनके द्वारा कई नाटकों में दमदार अभिनय किया गया है। अभी भी वह अभिनय के क्षेत्र में सक्रिय है।