@ विनोद भगत
प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों राष्ट्रीय दलों में एक बड़ा विरोधाभास देखने में आ रहा है। वैसे दोनों दलों में विरोधाभास की बात हास्यास्पद लगेगी। दोनों ही दल एक दूसरे के विरोधी हैं तो विरोधाभास तो होगा ही। लेकिन यहाँ बात दोनों दलों के संगठन की तुलना को लेकर की जा रही है।
हाल ही में दोनों दलों के संगठन को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा है। जहाँ एक ओर भाजपा संगठन ने अपने नये प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा की है और पूरे राज्य में नये अध्यक्ष को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्सव का माहौल है। तो दूसरी तरफ कांग्रेस संगठन की कार्यकारिणी घोषित होने के बाद पार्टी में तूफ़ान मचा हुआ है। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में जुबानी जंग छिड़ी हुई है। कांग्रेस अपने ही नेताओं के बीच चल रही बयानबाजी में उलझ गई है। ऐसे में उत्तराखंड में कांग्रेस संगठन की रार सड़कों पर है जबकि सड़कों पर भाजपा भी है लेकिन संगठन के नये अध्यक्ष के स्वागत में।
इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी अगर यह कहा जाये कि बंशीधर भगत के रूप में उत्तराखंड को एक जननायक मिल गया है। जिसकी कमी उत्तराखंड में लंबे समय से महसूस की जा रही थी। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि अजय भट्ट के मुकाबले में बंशीधर भगत भाजपा के लिए ज्यादा प्रभावी नेता बनने जा रहे हैं।
यह समय पार्टी को एकजुट करने का है। स्वयं बंशीधर भगत यही कहते हैं कि 2022 का चुनाव जीतना उनका लक्ष्य है। इसके लिए वह कार्यकर्ताओं अभी से आगाह करते हैं। इसके विपरीत कांग्रेस में जननायक की जगह तमाम खलनायक उभरे हैं। जो निजी महत्वाकांक्षा की खातिर अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को निशाने पर ले रहे हैं। दरअसल कांग्रेस को एक ही विपक्ष से नहीं जूझना है। कांग्रेस में ही कई विपक्ष मौजूद हैं जो भाजपा का काम आसान कर रहे हैं।
अब सवाल यह है कि अपने ही अंतर्विरोधों से घिरी कांग्रेस क्या भाजपा का सामना कर पायेगी। कांग्रेस बिखर रही है और भाजपा एकजुट हो रही है। यही सबसे बड़ा विरोधाभास है जो कांग्रेस को ग्यारह विधायक तक पहुंचाने के बावजूद दूर नहीं हो पा रहा है।
कुमाऊं दौरे पर निकले बंशीधर भगत के अभूतपूर्व स्वागत में एकजुट दिखे भाजपाइयों से क्या कांग्रेस सबक लेगी? या पुन: ताश के पत्तों की तरह बिखर जायेगी। नेता प्रतिपक्ष को लेकर ताजा लड़ाई कांग्रेस को किस ओर ले जायेगी? एक बड़ा सवाल यह है कि दिग्गज नेताओं के नाम पर छुटभैये तथाकथित कांग्रेसी भी ऐसे बयान जारी कर रहे हैं जिन्हें देख कर लगता है कि केन्द्रीय नेतृत्व की ओर से यह बयान आया है। किसी बड़े नेता की बैठक में मोबाइल से सेल्फी लेकर खुद को प्रदेश अध्यक्ष मानकर बयान जारी करने वाले ये नेता दीमक की तरह पार्टी को खोखला कर रहे हैं।