उत्तराखंड :72 करोड़ की देनदारी क्यों नहीं वसूल पा रही सरकार?

@मनीष वर्मा

देहरादून (26 मई 2022) । देहरादून में उत्तर प्रदेश से आए  अतुल कृष्ण भटनागर द्वारा वर्ष 2016 से वर्ष 2018 तक श्री देव सुमन के नाम पर श्री देव सुमन सुभारती मेडिकल कॉलेज खोलकर 300 छात्रों को एडमिशन दिए गए जब 4 अरब रुपए उक्त अतुल भटनागर ने छात्रों से फर्जीवाड़ा कर एकत्र कर लिए तो पता चला कि छात्र तो परीक्षा ही नही दे पाएंगे क्योंकि उक्त कॉलेज की मान्यता ही नही है तो सारे विधार्थियों और अभिभावकों पर कैसे कुठाराघात हुआ हो और शुरू हुआ आंदोलन, धरना ,प्रदर्शन,सरकार का घेराव आदि कार्यक्रम ।

तब तो इनका फर्जीवाड़ा और स्पष्ट हो गया जब इस कॉलेज के बारे में  सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में इनके द्वारा किए गए। फर्जीवाड़े के संबंध में डीजीपी उत्तराखंड को अपनी सीट से बैठे बैठे ही कॉलेज सील करके चाबी राज्य सरकार के प्रतिनिधि को सौंपने के आदेश दिए और लंच से पहले दिए गए आदेश के बाद लंच के बाद डीजीपी महोदय द्वारा कॉलेज सील करके रिपोर्ट  सुप्रीम कोर्ट को भेज दी गई।

तत्पश्चात उत्तराखंड सरकार के 3 आईएएस अफसरों द्वारा फाइल में हस्ताक्षर कर अपने एडवोकेट जनरल के माध्यम से  सुप्रीम कोर्ट को अवगत करवाया की उक्त अतुल भटनागर आदि इस संपत्ति के मालिक ही नही है और उनके द्वारा पूर्व मालिको से किया करार भंग किया गया गया है तथा बैंको को देनदारी तो न देने के साथ ही अतुल भटनागर द्वारा पूर्व मालिको को दिए गए करोड़ो रुपए के चेक बाउंस हो गए है इसलिए उक्त संपत्ति विवादित है एवम कई ने विवाद विभिन्न न्यायालयों में लंबित है ।

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उक्त रिपोर्ट के आधार पर तथा किए गए फर्जीवाड़े के आधार पर उत्तराखंड सरकार ने सुभारती ट्रस्ट सहित अतुल भटनागर पर 1 अरब 33 करोड़ की पेनल्टी लगाते हुए समस्त संपत्ति को सील कर दिया था जिसके बाद सुभारती ट्रस्ट एवम अतुल भटनागर द्वारा माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल में गुहार लगाते हुए 25 करोड़ जमा कर दिया गया जिसमे 15 करोड़ नकद ड्राफ्ट द्वारा एवं 9.5 करोड़ की बैंक गारंटी चिकित्सा शिक्षा विभाग के तत्कालीन ईमानदार एवं कर्तव्यनिष्ठ निदेशक युगल किशोर पंत द्वारा जब्त कर सरकार के राजस्व की वसूली की गई गई थी ।

अब उक्त संस्था पर 72 करोड़ आज भी बकाया है परंतु कई वर्ष बीत जाने पर भी सांठ गांठ के चलते चिकित्सा शिक्षा विभाग के सीएफओ विवेक स्वरूप श्रीवास्तव द्वारा अपनी पूर्व सचिव के खास होने के चलते अभी तक इस वसूली के लिए दोबारा कोई प्रयास नहीं किया गया। जबकि राज्य सरकार के पास कई विभागो में तनख्वाह देने के पैसे नही है और सर्वविदित है कि की राज्य केंद्र सरकार की बैसाखी के सहारे चल रहा है ।

उत्तराखंड के वित मंत्री  प्रेम चंद अग्रवाल ने जहां तत्परता से सभी समीक्षा बैठक बुलाई है वही राज्य की जनता उनसे आशा करती है एवम संज्ञान में लाना चाहती है कि राज्य के विभागो के वित नियंत्रकों की बैठक बुलाए और इनसे पूछे की किन बैंको में कितनी रकम की FD क्यों बनाई है और उन लिमिट के अगेंस्ट कितना पैसा लेकर राज्य को कितना चूना इन्होंने अपने लालच में लगाया है और क्यों पैसा निकालने में कोताही बरती गई है ?

वही चिकित्सा शिक्षा विभाग के सीएफओ विवेक स्वरूप श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से देहरादून कैसे नियुक्ति पा गए और क्यू नही अब तक इन्होंने उक्त 72 करोड़ की वसूली में अपनी रुचि दिखाई या अर्जेंसी लगाकर आदेश क्यो नही लिया ? जो कि यह इशारा करता है कि जांच- जांच और केस- केस खेल कर 72 करोड़ रुपए माफ करने की तैयारी की जा रही है जबकि ये 72 करोड़ रुपए इसलिए आरोपित की गए थी उन 300 छात्रों की पढ़ाई लिखाई ,प्रोफेसरों की पांच साल की अतिरिक्त तनख़ एवं आर्थिक बोझ राज्य सरकार के ऊपर पड़ा और गरीब राज्य को यह दंश बेवजह फर्जीवाड़े के चलते झेलना पड़ा । तथा अब यही अतुल कृष्ण भटनागर इसी ट्रस्ट का नाम बदल कर गौतम बुद्ध सुभारती मेडिकल कॉलेज के नाम से 27 लाख रुपए प्रतिवर्ष प्रति छात्र झाजरा में 150 छात्रों से वसूल रहा है यानी 150 छात्रों से 27 लाख x 150 छात्र यानी 40 करोड़ 50 लाख प्रति वर्ष वसूल रहा है तथा राज्य सरकार के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग , नानुरखेड़ा, सहस्त्रधारा रोड से 25 करोड़ ESI योजना एवं MSBY योजना , आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा करके ले रहा हो अथवा ले चुका हो । जबकि स्वास्थ्य सचिव अमित सिंह नेगी के आख्या एवम रिपोर्ट है कि अस्पताल दो साल से क्रियाशील ही नही है

पढ़े स्वास्थ्य निदेशक की आख्या :

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