काशीपुर । इससे बड़ी बिडम्बना क्या होगी कि राजकीय अस्पताल के बाहर एक वृद्ध मौत के इंतजार में है। मानवता की बड़ी बड़ी बातें और समाज के गरीब से गरीब व्यक्ति को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के दावे हमारे नेता सिर्फ भाषण में ही करते हैं।
काशीपुर के राजकीय चिकित्सालय के बाहर बने बस स्टाप पर एक वृद्ध पिछले तीन चार दिनों से पड़ा है। उसका पैर गल रहा है। तमाम लोग, लोगों को छोड़ दें तो चिकित्सक प्रशासन के अधिकारी और राजनेता रोज ही वहाँ से गुजरते हैं। रात की ठंड में फर्श पर मात्र एक कंबल के सहारे रात काट रहा यह वृद्ध समाज के मानवतावादी चेहरे को विद्रूप बना रहा है। तमाम समाजसेवी जो एक केले के साथ अस्पताल में फोटो खिंचवाते हुये खुद को मानवतावादी बताते नहीं थकते। उनके लिए यह एक प्रमाण है कि उनकी मानवीयता खोखली है।
आज शाम जब कूर्माचल कालोनी निवासी नीरज असवाल ने वृद्ध को देखा तो उसके लिए भोजन की व्यवस्था की। इस संवाददाता के सामने जब उससे बात करने की कोशिश की तो वह ठीक से बोल नहीं पा रहा था। वह कौन है यह जानना जरूरी नहीं पर यह जानना जरूरी है कि एक वृद्ध अस्पताल के सामने मौत का इंतजार कर रहा है। वह भी तब जब यह शहर तमाम समाजसेवियों से भरा हुआ है।