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देहरादून :₹87.63 करोड़ की कुर्की पर हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं, सुभारती की स्टे एक्सटेंशन अर्जी से साफ, वसूली पर रोक नहीं

@शब्द दूत ब्यूरो (16 दिसंबर 2025)

देहरादून। डॉ. जगत नारायण सुभारती चैरिटेबल ट्रस्ट एवं उससे जुड़े संस्थानों के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा जारी ₹87.63 करोड़ की सरकारी वसूली एवं कुर्की (Attachment) की कार्यवाही पर फिलहाल माननीय उत्तराखंड उच्च न्यायालय से कोई रोक नहीं लगी है। सुभारती संस्थान की ओर से आज हाईकोर्ट में स्टे एक्सटेंशन की अर्जी दाखिल की गई है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि कुर्की कार्यवाही पर इस समय कोई प्रभावी स्थगन आदेश मौजूद नहीं है।

विधि विशेषज्ञों के अनुसार, यदि आज न्यायालय द्वारा किसी प्रकार का स्टे पारित किया गया होता, तो स्टे एक्सटेंशन की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। हाईकोर्ट ने आज कोई लिखित अथवा स्पष्ट अंतरिम आदेश पारित नहीं किया है। केवल 17 दिसंबर 2025 को याचिका का सूचीबद्ध (Listed) होना, कुर्की या रिकवरी पर रोक नहीं माना जा सकता।

कानून का स्पष्ट सिद्धांत है कि जब तक न्यायालय द्वारा लिखित एवं स्पष्ट स्थगन आदेश पारित न किया जाए, तब तक सरकारी देयताओं की वसूली हेतु जारी कुर्की/अटैचमेंट आदेश पूर्णतः वैध, प्रभावी एवं निष्पादनीय बने रहते हैं। ऐसे में जिला प्रशासन को रिकवरी की कार्यवाही जारी रखने का पूरा अधिकार है।

उल्लेखनीय है कि सुभारती समूह ने एक दिन पूर्व जिला प्रशासन के विरुद्ध विज्ञप्ति जारी कर स्टे के नाम पर “झूठी रिकवरी” का आरोप लगाया था। जबकि वास्तविकता यह है कि हाईकोर्ट से कोई राहत प्राप्त नहीं हुई है। केवल लिस्टिंग को ही ‘स्टे’ बताकर अधिकारियों पर दबाव बनाने और आम जनता व विद्यार्थियों में भ्रम फैलाने का प्रयास किया जा रहा है।

सूत्रों के मुताबिक, मामला सीधे तौर पर ₹87.63 करोड़ के सरकारी राजस्व छात्रों एवं अभिभावकों के हित, सार्वजनिक धन की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। इसके बावजूद संस्थान द्वारा पिछले छह वर्षों से अरबों रुपये की फीस वसूली करने के बावजूद सरकारी देयताओं का भुगतान नहीं किया गया।

विधि विशेषज्ञों का कहना है कि रिकवरी ऑफ गवर्नमेंट ड्यूज़ जैसे मामलों में अदालतें सामान्यतः तभी हस्तक्षेप करती हैं, जब किसी प्रकार की स्पष्ट अवैधानिकता सामने आए। केवल यह कह देना कि मामला न्यायालय में लंबित है, वसूली रोकने का आधार नहीं बन सकता।

फिलहाल, सुभारती संस्थानों के खिलाफ जारी कुर्की एवं वसूली की कार्यवाही पूरी तरह वैध है और जिला प्रशासन इसे आगे बढ़ाने के लिए अधिकृत है।

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