@शब्द दूत ब्यूरो (27 नवंबर 2025)
काशीपुर। लक्ष्मण दत्त भट्ट उप जिला राजकीय चिकित्सालय में आज चिकित्सा प्रबंधन समिति की बैठक से पहले मुख्य विकास अधिकारी दिवेश शाशनी ने पूरे अस्पताल का विस्तृत निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान अस्पताल की व्यवस्थाओं, उपकरणों, स्वच्छता, सुरक्षा तथा मरीजों को उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं की वास्तविक स्थिति सामने आई। सीएमएस डॉ. संजीव दीक्षित ने अस्पताल में चल रही समस्याओं और कमियों की पूरी जानकारी सीडीओ को दी।
सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि अस्पताल के कई शौचालयों में नल-टोंटियाँ चोरी होना आम बात बन चुकी है। सीडीओ ने इस पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए सुरक्षा व्यवस्था और निगरानी प्रणाली को और सख्त करने के निर्देश दिये। इसके अलावा यह भी बताया गया कि प्रसूति के बाद जच्चा-बच्चा को जिस वार्ड में शिफ्ट किया जाता है, वहां का सेंट्रलाइज्ड एसी सिस्टम पिछले पांच वर्षों से खराब है और बजट की कमी के कारण अब तक इसकी मरम्मत नहीं हो सकी। तकनीकी टीम का अनुमान है कि एसी सिस्टम को कार्यशील करने में लगभग 25 से 30 लाख रुपये का खर्च आएगा।
सीडीओ दिवेश शाशनी ने वार्ड में भर्ती महिलाओं और उनके परिजनों से भी बात की। उन्होंने खाने, दवाइयों और डॉक्टरों द्वारा दी जा रही सेवाओं के बारे में जानकारी ली। कुछ मरीजों ने बताया कि उन्हें लंच या नाश्ता घर से लाना पड़ा, जबकि कई ने बताया कि उन्हें अस्पताल की ओर से ब्रेड और दूध उपलब्ध कराया गया। डॉक्टरों द्वारा दिए गए इलाज और अटेंशन से अधिकांश मरीज संतुष्ट दिखे, लेकिन भोजन व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता सामने आई।
निरीक्षण के दौरान सीडीओ ने विभिन्न कमियों का संज्ञान लिया—जैसे अस्पताल की भवन स्थिति, कई कमरों में टूट-फूट, सीवरेज और ड्रेनेज की समस्याएं, प्रवेश द्वार पर बरसात के दौरान होने वाली जलभराव की दिक्कत और कई स्थानों पर सफाई की कमी। उन्होंने साफ कहा कि अस्पताल परिसर में मरीजों और स्टाफ की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सीसीटीवी कवरेज, बाउंड्री वॉल की मजबूती और स्टोर रूम की सही व्यवस्था आवश्यक है।
अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी भी एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आई। सीएमएस ने बताया कि अस्पताल में ऑर्थोपेडिक सर्जन, रेडियोलॉजिस्ट, एनस्थेटिस्ट, साइकेट्रिस्ट और स्किन स्पेशलिस्ट की कमी है। कई महत्वपूर्ण पद वर्षों से रिक्त हैं, जिसके कारण गंभीर मामलों को दूसरे अस्पतालों में रेफर करना पड़ता है। वहीं अल्ट्रासाउंड मशीन उपलब्ध है, लेकिन विशेषज्ञ न होने से इसका उपयोग सीमित हो जाता है।
निरीक्षण के दौरान सीडीओ ने अस्पताल के हृदय केंद्र (हार्ट सेंटर) का भी जायजा लिया। पता चला कि उजाला अस्पताल द्वारा लिए गए हैंडओवर से संबंधित दस्तावेज अभी तक उपलब्ध नहीं हैं, जबकि भवन और कई उपकरण पहले ही स्थापित हो चुके हैं। सीडीओ ने इस मुद्दे पर शासन स्तर पर समाधान कराने की बात कही।
सीडीओ दिवेश शाशनी ने स्पष्ट कहा कि अस्पताल में प्राथमिकता के आधार पर एनबीएसयू वार्ड का एसी, ड्रेनेज सुधार, भवन मरम्मत, मरीज मार्गदर्शन हेतु साइन बोर्ड, विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति और आवश्यक मशीनों की खरीद की दिशा में कार्य किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जिन कार्यों के लिए जिला योजना या अन्य निधियों से बजट उपलब्ध कराया जा सकता है, उनके लिए जल्द प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा जाएगा।
निरीक्षण पूरा होने के बाद सीडीओ ने कहा कि अस्पताल क्षेत्र में लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, ऐसे में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता गिरनी नहीं चाहिए। कमियों का समाधान जल्द किया जाएगा ताकि अस्पताल का संचालन बेहतर तरीके से हो सके और मरीजों को किसी भी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े। इस दौरान उपजिलाधिकारी अभय प्रताप सिंह भी निरीक्षण व बैठक में मौजूद रहे। 
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