Breaking News

देवभूमि में जल प्रलय की जड़ : नदी-नालों पर अतिक्रमण और मलिन बस्तियां, धामी सरकार करने जा रही सख्त कार्रवाई

@शब्द दूत ब्यूरो (19 सितंबर 2025)

देहरादून। उत्तराखंड के राज्य बनने के बाद से बाहरी राज्यों से आए लोगों ने नदी-नालों और सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर बस्तियां बसा लीं। समय के साथ ये अवैध कब्जे मलिन बस्तियों का रूप ले चुके हैं और अब वोट बैंक की राजनीति के चलते इन्हें हटाना सरकार के लिए सिरदर्द बन गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और हाई कोर्ट बार-बार सरकार से जवाब तलब कर चुके हैं, मगर अब तक ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है।

बीते दिनों दून घाटी में बादल फटने से लगभग 40 लोगों की मौत हुई, जिनमें से अधिकांश अवैध रूप से नदी-नालों की सरकारी भूमि पर बसे थे। विशेषज्ञों का मानना है कि जल प्रलय का सबसे बड़ा कारण यही अतिक्रमण है जिसने नदियों के प्राकृतिक बहाव को रोक दिया। देहरादून की रिस्पना और बिंदाल नदियां कई बार शहर के पुलों तक पहुंच चुकी हैं, जबकि टोंस, जाखन, सहस्त्रधारा और तमसा जैसी नदियों ने भी घरों के दरवाजों पर दस्तक दी है।

आंकड़े बताते हैं कि राज्य गठन के वक्त देहरादून जिले में 75 मलिन बस्तियां थीं जो 2016 तक बढ़कर 150 और अब लगभग 200 तक पहुंच गई हैं। पूरे राज्य में 2016 के सर्वे में 582 मलिन बस्तियां चिन्हित हुई थीं, जबकि वर्तमान में यह संख्या 700 के करीब बताई जा रही है। अनुमान है कि आठ साल पहले जहां करीब 7.7 लाख लोग 1.5 लाख से अधिक मकानों में अवैध रूप से बसे थे, वहीं अब यह आबादी 10 लाख के आसपास पहुंच चुकी है। इनमें बड़ी संख्या बिजनौर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, पीलीभीत, बिहार, असम, झारखंड सहित बाहरी राज्यों के लोगों की है। रिपोर्ट्स में रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों का भी जिक्र किया गया है।

एनजीटी ने कई बार सरकार पर जुर्माना लगाकर चेताया है कि नदी श्रेणी फ्लड जोन खाली कराए जाएं, अन्यथा बड़ा नुकसान होगा। रिस्पना रिवर फ्रंट जैसी योजनाएं भी बनीं लेकिन राजनीतिक दबाव और वोट बैंक की मजबूरी ने उन्हें ठंडे बस्ते में डाल दिया। कांग्रेस सरकार ने 2016 में इन बस्तियों के नियमितीकरण की घोषणा की थी, जबकि बाद में आई भाजपा सरकार ने उस पर रोक लगा दी। बावजूद इसके, बस्तियों का विस्तार अब भी जारी है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट कहा है कि “नदी-नालों की सरकारी भूमि पर अतिक्रमण सहन नहीं किया जाएगा। नदियों का प्राकृतिक प्रवाह बाधित होने से जल प्रलय का खतरा बढ़ा है। सरकार एनजीटी और हाई कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए अतिक्रमण हटाएगी।”

फिलहाल दून घाटी और अन्य जिलों में नदी-नालों पर बने ये अवैध कब्जे आने वाले समय में और बड़ी तबाही का संकेत दे रहे हैं। राजनीति और प्रशासन की उदासीनता के बीच जल प्रलय का खतरा लगातार मंडरा रहा है।

 

Website Design By Mytesta +91 8809666000

Check Also

दुखद :थाना प्रभारी ने सरकारी आवास में खुद को गोली मारकर समाप्त की जीवन लीला , पुलिस विभाग में शोक की लहर

🔊 Listen to this रात करीब 9:30 बजे गोली चलने की आवाज सुनते ही थाने …

googlesyndication.com/ I).push({ google_ad_client: "pub-