@शब्द दूत ब्यूरो (05 अगस्त 2025)
उत्तर प्रदेश में बाढ़ से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है। गंगा और उसकी सहायक नदियों के उफान से कई गांव जलमग्न हो गए हैं, हजारों घर पानी में डूब चुके हैं। लोग छतों पर शरण लेने को मजबूर हैं। न खाने की व्यवस्था है, न पहनने को कपड़े। अस्पताल और स्कूलों तक का संपर्क टूट गया है। बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को सबसे अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
इसी बीच राज्य सरकार के मंत्री संजय निषाद का एक बयान सामने आया है, जिसने पीड़ितों की पीड़ा को और गहरा कर दिया है। मंत्री ने कहा– “गंगा मैया गंगा पुत्रों का पैर धुलने आती हैं। आदमी सीधे स्वर्ग जाता है।”
इस टिप्पणी को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने इसे असंवेदनशील और अपमानजनक बताया है। बाढ़ पीड़ितों ने कहा कि जब भूख, बीमारी और बदहाली से जूझ रहे हैं, तब ऐसे वक्त में इस तरह के बयान हमारी पीड़ा का मज़ाक उड़ाने जैसे हैं।
सोशल मीडिया पर भी मंत्री के बयान की कड़ी आलोचना हो रही है। यूज़र्स ने सवाल उठाया है कि क्या मंत्री खुद ऐसे हालात में जी सकते हैं, जहां इंसान को पीने का पानी तक नाव से लाना पड़े?
फिलहाल प्रशासन राहत और बचाव कार्यों में जुटा है, लेकिन संसाधनों की कमी और व्यापक तबाही के चलते चुनौतियाँ लगातार बढ़ती जा रही हैं। बाढ़ से प्रभावित लोगों को उम्मीद है कि सरकार संवेदनशीलता के साथ उनके पुनर्वास और सहायता के लिए ठोस कदम उठाएगी, न कि केवल धर्म और स्वर्ग की बातों से उन्हें बहलाने की कोशिश करेगी।
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