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गजब :जल‑गंगा संवर्धन के नाम पर आयोजित हुई एक सरकारी “चौपाल” में अफसरों ने एक घंटे में 19000 के ड्राई फ्रूट्स खा लिए, बिल हुआ वायरल

सूत्र बताते हैं कि मात्र ड्राई फ्रूट्स की खरीद पर ही ₹19,010 का बिल आया, जबकि अतिरिक्त खर्चों में 30 किलो नमकीन, 50 पुड़ी‑सब्ज़ी पैकेट, 20 बिस्किट पैकेट, व tent–कुर्सियाँ आदि सामिल थे ।

@शब्द दूत ब्यूरो (11 जुलाई 2025)

शहडोल (मप्र)। जल‑गंगा संवर्धन के नाम पर आयोजित हुई एक सरकारी “चौपाल” में अफसरों द्वारा धूमधाम से मनाए गए स्नैक्स‑ड्राई फ्रूट्स की महँगी मेजवानी ने सुर्खियाँ बटोर ली हैं। बताया जा रहा है कि लगभग बीस अधिकारियों व पंचायत प्रतिनिधियों ने मात्र एक घंटे में 13–14 किलो ड्राई फ्रूट (काजू–बादाम–किशमिश), 6 लीटर दूध, 5 किलो चीनी चाय में इस्तेमाल की और उसके साथ 30 किलो नमकीन, बिस्किट, पुड़ी–सब्ज़ी का भी सेवन किया। इस ‘शाही दावत’ का बिल ₹19,010 तक पहुंच गया, जो ग्राम पंचायत के फंड से चुकाया गया ।

पंचायत ने आधिकारिक तौर पर यह आयोजन 25 मई 2025 को शहडोल जिले की भदवाही ग्राम पंचायत में पानी के संरक्षण अभियान “बोरी बँधान” के तहत आयोजित किया था। इसमें कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ, एसडीएम व ग्राम प्रतिनिधि प्रमुख रूप से मौजूद थे ।

सूत्र बताते हैं कि मात्र ड्राई फ्रूट्स की खरीद पर ही ₹19,010 का बिल आया, जबकि अतिरिक्त खर्चों में 30 किलो नमकीन, 50 पुड़ी‑सब्ज़ी पैकेट, 20 बिस्किट पैकेट, व tent–कुर्सियाँ आदि सामिल थे । स्थानीय निवासियों का कहना है कि असल में उन्हें तो साधारण भोजन ही परोसा गया; ड्राई फ्रूट्स और बिस्किट कहीं नजर नहीं आए।

यह कोई पहला मामला नहीं है—पिछले दिनों एक स्कूल पेंट घोटाला भी सामने आया था, जिसमें 4 लीटर पेंट के लिए ₹1.7 लाख खर्च दिखाया गया था। इस बीच चौपाल में ‘शक्कर‑चीनी चाय’ और महँगी खाद्य सामग्री ने जनता में गुस्से की लहर पैदा कर दी है ।5 किलो काजू, 6 किलो बादाम, 3 किलो किशमिश; 6 लीटर दूध व 5 किलो चीनी से बने चाय के साथ 30 किलो नमकीन और बिस्किट । इसका कुल ₹19,010, ग्राम पंचायत से भुगतान  हुआ।

गांव वालों की प्रतिक्रिया आई है कि “हमें साधारण भोजन ही मिला, ड्राई फ्रूट कहीं नहीं” ।

जिला कलेक्टर समेत उच्च अधिकारी खुद भदवाही गए, लेकिन उन्होंने ड्राई फ्रूट्स का सेवन करने से इनकार किया।

सोशल मीडिया पर बिल वायरल होने पर शहडोल कलेक्टर ने तत्काल तफ्तीश आदेश दी, जांच ग्राम पंचायत सीईओ की निगरानी में होगी।

जिला पंचायत के अपर सीईओ मुद्रिका सिंह ने स्पष्ट कहा कि इतनी बड़ी मात्रा की ड्राई फ्रूट्स की खरीद उनकी नज़र में नहीं आई व जांच जारी है ।

सरकारी कार्यक्रमों में सार्वजनिक धन के उपयोग पर सवाल उठना कोई नई बात नहीं—इससे पहले स्कूल पेंट योजना में भारी फर्जीवाड़ा भी उजागर हो चुका है। यह नया मामला प्रशासन की पारदर्शिता और जवाबदेही की सख्त मांग करता है।

जांच की रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की उम्मीद है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी या यही ‘महाभोज’ आगे भी जारी रहेगा।

 

 

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