11 साल बाद, अब जाकर यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स ने इस त्रासदी पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसमें रूस को इस भीषण हमले के लिए दोषी ठहराया गया है।
@शब्द दूत ब्यूरो (10 जुलाई 2025)
क्या था यह भयानक हादसा?
17 जुलाई 2014 को इतिहास में एक काले दिन के रूप में दर्ज हो गया, जब मलेशिया एयरलाइंस की उड़ान MH17, जो एम्स्टर्डम से कुआलालंपुर जा रही थी, यूक्रेन के पूर्वी क्षेत्र में मार गिराई गई। विमान में सवार सभी 298 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।
11 साल बाद, अब जाकर यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स ने इस त्रासदी पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसमें रूस को इस भीषण हमले के लिए दोषी ठहराया गया है।
इस हादसे ने उस समय पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि यह हमला रूस समर्थित विद्रोहियों द्वारा किया गया था, जिन्होंने गलती से इस यात्री विमान को दुश्मन देश का सैन्य विमान समझ लिया था। उन्होंने विमान पर बूक मिसाइल सिस्टम से हमला किया, जिससे वह हवा में ही टुकड़ों में बिखर गया और मलबा यूक्रेन के डोनेत्स्क क्षेत्र में आकर गिरा।
हादसे में मारे गए यात्रियों में 80 बच्चे और 15 क्रू सदस्य भी शामिल थे। इनमें से अधिकांश डच नागरिक थे, लेकिन विभिन्न देशों के नागरिकों की भी जानें गईं।
वर्षों चली अंतरराष्ट्रीय जांच में यह निष्कर्ष निकला कि रूस समर्थित डोनेत्स्क पीपुल्स रिपब्लिक के लड़ाकों ने यह मिसाइल दागी थी। हादसे को लेकर विश्वभर में रूस की कड़ी आलोचना हुई। हालांकि, रूस ने इन आरोपों को खारिज किया।
MH17 त्रासदी ने न केवल हवाई यात्रा की सुरक्षा को लेकर गंभीर प्रश्न खड़े किए, बल्कि वैश्विक कूटनीति में भी तनाव को बढ़ा दिया। पीड़ितों के परिजनों के लिए यह घटना आज भी असहनीय पीड़ा का कारण है।
यह हादसा हमें याद दिलाता है कि युद्ध की आंच में आम नागरिकों की जानें किस तरह बेवजह झोंकी जा सकती हैं और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के पालन का क्या महत्व है।
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