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शिक्षा विभाग में बड़ा फर्जीवाड़ा, पुताई के नाम पर लाखों की गड़बड़ी उजागर, 4 लीटर पेंट लगाने का खर्च 1लाख से अधिक, 20 लीटर का खर्चा 2 लाख से अधिक

जो बिल पेश किए गए हैं, वे न केवल अविश्वसनीय हैं बल्कि खुला भ्रष्टाचार भी दर्शाते हैं। मामलों की जांच हो रही है और उसके बाद कार्रवाई भी होगी?

@शब्द दूत ब्यूरो (05 जुलाई 2025)

शहडोल (मध्यप्रदेश)। शहडोल जिले में शिक्षा विभाग की मरम्मत मद में भारी अनियमितता का खुलासा हुआ है। रंग-रोगन और मामूली फिटिंग कार्यों के नाम पर लाखों रुपये की फर्जी निकासी की गई है। दो शासकीय विद्यालयों—सकंदी और निपनिया—में जो बिल पेश किए गए हैं, वे न केवल अविश्वसनीय हैं बल्कि खुला भ्रष्टाचार भी दर्शाते हैं।

शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सकंदी में 4 लीटर डिस्टेंपर पेंट से दीवार पुताई के लिए 168 मजदूर और 65 मिस्त्री लगाए गए। सुधाकर कंस्ट्रक्शन द्वारा प्रस्तुत बिल में 4 लीटर पेंट की कुल लागत ₹784 दर्शाई गई है, जबकि मजदूरी पर ₹1,06,200 खर्च बताया गया। कुल राशि ₹1,06,984 बिल की गई, जिस पर प्राचार्य और जिला शिक्षा अधिकारी की मुहर भी लगी हुई है।

वहीं, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय निपनिया में 20 लीटर ऑयल पेंट से पुताई, 10 खिड़कियों की स्थापना और 4 दरवाजों की फिटिंग के लिए 275 मजदूर और 150 मिस्त्री दर्शाए गए। कुल खर्च ₹2,31,685 बताया गया। हैरानी की बात यह है कि बिल पर प्राचार्य के हस्ताक्षर 4 अप्रैल 2025 को हैं, जबकि बिल की तिथि 5 मई 2025 है। यानी, एक महीने पहले ही बिल को सत्यापित कर दिया गया। इसके बावजूद ट्रेजरी ऑफिसर ने बिना कोई भौतिक सत्यापन किए भुगतान पास कर दिया।

नियमों के अनुसार अनुरक्षण मद से कराए गए कार्यों में कार्य प्रारंभ से पहले और कार्य पूर्ण होने के बाद की तस्वीरें संलग्न करना अनिवार्य होता है, परंतु इन बिलों के साथ कोई भी फोटो नहीं लगाई गई थी। इसके बावजूद ट्रेजरी ऑफिस ने बिल पास कर भुगतान कर दिया।

मामला जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तब जिले के शिक्षा अधिकारी फूल सिंह मारपाची ने कहा कि उन्हें इस विषय की जानकारी सोशल मीडिया से प्राप्त हुई है और मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

इन दोनों प्रकरणों ने न केवल शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि ट्रेजरी प्रणाली की निष्क्रियता और मिलीभगत की ओर भी इशारा किया है। गांवों में न तो इतनी बड़ी संख्या में मजदूर उपलब्ध हैं, न ही इतना बड़ा कार्य हुआ है। ऐसे में अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या जांच निष्पक्ष होगी और दोषियों पर कोई सख्त कार्रवाई होगी या मामला फाइलों में ही दफ्न कर दिया जाएगा।

 

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