@शब्द दूत ब्यूरो (04 जुलाई 2025)
उत्तराखंड पुलिस में तैनात मुख्य आरक्षी दीपक कुमार आर्य (44) का दर्दनाक निधन हो गया। वे 29 जून को शामली जिले के गढ़ीपुख्ता कस्बे में आवारा कुत्ते के काटने के बाद संक्रमण के चलते गम्भीर रूप से बीमार हो गए। उन्होंने एंटी-रेबीज़ इंजेक्शन की दो खुराक लगवाई थी, लेकिन चार दिन बाद उनकी तबियत अचानक बिगड़ गई और अंततः उन्होंने मेरठ के खरखौदा स्थित अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया ।
सुरेश सिंह के पुत्र के रूप में जन्मे दीेपक 2002 में उत्तराखंड पुलिस में भर्ती हुए और वर्तमान में वे पौड़ी जिला पुलिस लाइन में कार्यरत थे। कुछ समय से उनके लीवर की बीमारी के चलते उन्होंने अवकाश लेकर शामली में निजी चिकित्सक के परामर्श पर इलाज कराया था ।
मूल रूप से गढ़ीपुख्ता क्षेत्र के पेलखा गांव निवासी दीपक 29 जून को घरेलू सामान लेने गया था, तभी उसे कुत्ते ने काटा था। उन्होंने तुरंत रैबीज़ वैक्सीन की दो डोज लीं, लेकिन बुधवार को अचानक तबियत बिगड़ गई। परिजन पहले शामली चिकित्सक के पास ले गए, फिर मेरठ की अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ रात में उनकी मृत्यु हो गई ।
बड़े भाई अमित ने बताया कि चिकित्सकों ने मृत्यु का कारण रैबीज़ संक्रमण बताया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, शव का शामली पोस्टमार्टम हाउस में देर से पोस्टमार्टम के कारण परिजनों ने नाराज़गी जताई है। जिलाधिकारी अरविंद चौहान ने मामले की जांच का आश्वासन दिया है ।
दीपक की पत्नी भारती आर्य भी उत्तराखंड पुलिस में सिपाही हैं और हरिद्वार कोतवाली में तैनात हैं। उनके दो पुत्र हैं—13 वर्ष तथा 10 वर्ष के—साथ ही उनके माता-पिता एवं बड़ा भाई उपस्थित हैं। अमित ने बताया कि दीपक ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति हेतु आवेदन दिया था, लेकिन वह मंजूर नहीं हुआ था ।
हाल ही में ऐसी ही एक घटना कांधला में भी हुई, जहाँ 16 मई को आवारा कुत्ते द्वारा काटे गए चाय विक्रेता राजीव शर्मा (45) ने एंटी-रेबीज़ इंजेक्शन लगवाने के बावजूद 23 मई को रैबीज़ संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया था ।
घटना ने एक बार फिर आवारा कुत्तों और रैबीज़ के खतरनाक संक्रमण को उजागर किया है। प्रशासन से अपेक्षा जताई जा रही है कि आवारा पशुओं पर नियंत्रण और रैबीज़ टीकाकरण शिविरों की व्यवस्था के माध्यम से ऐसी शोकाकुल घटनाओं को रोका जा सके।
उत्तराखंड पुलिस प्रमुख आरक्षी दीपक कुमार आर्य की रैबीज़ संक्रमण से हुई मृत्यु ने आवारा कुत्तों के खतरों के प्रति जिम्मेदार संस्थाओं को आगाह कर दिया है। उम्मीद की जा रही है कि प्रशासन इस ओर ठोस कदम उठाएगा ताकि भविष्य में इस प्रकार की त्रासदी से बचा जा सके।
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