@शब्द दूत ब्यूरो (01 जुलाई 2025)
पंजाब के फिरोजपुर के फत्तूवाला गांव में बनी एयरफोर्स की हवाई पट्टी को एक महिला व उसके बेटे ने बेच दिया। यह हवाई पट्टी करीब 15 एकड़ पर बनी है। इंडियन एयरफोर्स ने पाकिस्तान के खिलाफ 1962, 1965 और 1971 के युद्ध में इसका इस्तेमाल कर चुकी है। कथित तौर पर 1997 में उषा अंसल और उनके बेटे नवीन चंद अंसल, निवासी गांव दुमनी वाला, द्वारा बेची गई थी।अब इस मामले में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 419, 420, 465, 467, 471 और 120-बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। यह धाराएं धोखाधड़ी, जालसाजी, फर्जी दस्तावेज़ तैयार करने और आपराधिक साजिश से संबंधित हैं।
डीएसपी करन शर्मा के नेतृत्व में मामले की आगे गहन जांच जारी है, ताकि इस लंबे समय से छिपे हुए भूमि घोटाले में शामिल सभी आरोपियों की पहचान की जा सके और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके।
यह जमीन भारतीय वायुसेना की ऐतिहासिक संपत्ति है, जो सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। आरोपियों ने सरकारी दस्तावेजों में जालसाजी कर इस भूमि को निजी संपत्ति दर्शाया और बेच दिया। इस घोटाले की परतें तब खुलीं जब शिकायतकर्ता ने 2021 में इस मामले को संबंधित विभागों के सामने उठाया, लेकिन शुरुआती स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
अब, 28 वर्षों बाद पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के सख्त निर्देश के बाद संबंधित थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं और दस्तावेज़ों की बारीकी से जांच की जा रही है।
यह मामला न केवल सैन्य भूमि की सुरक्षा में गंभीर चूक को दर्शाता है, बल्कि प्रशासनिक मिलीभगत और दस्तावेज़ों की फर्जीवाड़े की भयावहता को भी उजागर करता है। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार की रणनीतिक जमीनों की सुरक्षा और रजिस्ट्री प्रणाली की निगरानी को और अधिक मजबूत किए जाने की आवश्यकता है, ताकि देश की सैन्य सम्पत्ति किसी भी धोखाधड़ी का शिकार न हो।
इस प्रकरण ने न केवल पंजाब में प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि पूरे देश में सैन्य संपत्तियों की निगरानी और संरक्षण को लेकर एक बार फिर बहस छेड़ दी है।
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