@शब्द दूत ब्यूरो (19 जून 2025)
देहरादून। उत्तराखंड सरकार राज्य की विकास यात्रा, प्रशासनिक सुधार, युवा सशक्तिकरण, आपदा प्रबंधन और आत्मनिर्भरता की दिशा में किए जा रहे प्रयासों में जुटी हुई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विकसित भारत 2047” के संकल्प को उत्तराखंड के स्तर पर मूर्त रूप देने का संकल्प दोहराया है।
राष्ट्रीय नीति मंचों पर सशक्त उत्तराखंड
नीति आयोग और 16वें वित्त आयोग की बैठकों में राज्य की मांगों को रखा गया। मुख्यमंत्री ने लघु सिंचाई, हरिद्वार कुंभ 2027, वन आधारित राजस्व और राज्य अनुदान जैसे मुद्दों पर केंद्र से विशेष सहयोग मांगा।
वित्तीय अनुशासन में उत्कृष्ट प्रदर्शन
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट में उत्तराखंड को छोटे राज्यों की वित्तीय स्थिति में देशभर में दूसरा स्थान मिला। राजकोषीय घाटा, सरकारी गारंटी और बकाया ऋण को संतुलित करते हुए राज्य ने सुशासन में उल्लेखनीय प्रगति की।
सौर ऊर्जा और आत्मनिर्भरता की दिशा में क्रांति
मुख्यमंत्री सौर रोजगार योजना में महिलाओं को ‘सौर सखी’ के रूप में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। राज्य में 2027 तक 2500 मेगावाट सौर क्षमता का लक्ष्य तय किया गया है।
आपदा प्रबंधन में नवाचार
‘आपदा सखी योजना’ के तहत महिला स्वयंसेवकों को आपदा राहत में प्रशिक्षित किया जाएगा। भू-स्खलन, बाढ़ और अन्य आपदाओं से निपटने के लिए राज्य सजगता से तैयारी कर रहा है।
एक देश, एक चुनाव पर समर्थन
मुख्यमंत्री ने संयुक्त संसदीय समिति में “एक देश, एक चुनाव” का समर्थन करते हुए बताया कि इससे नीति निर्माण में बाधाएं कम होंगी और 30-35% तक खर्च की बचत होगी।
शिक्षा में नवाचार
राज्य के विद्यालयों में श्रीमद्भगवद गीता का अध्ययन अनिवार्य किया गया है। शिक्षा प्रणाली में सुधार और नवाचार को प्रोत्साहन देने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।
ई-पी प्रणाली और कृषि नीति
किसानों को ई-वाउचर प्रणाली के माध्यम से सब्सिडी मिलेगी। नई कृषि नीतियों जैसे कीवी नीति, ड्रैगन फ्रूट योजना और मिलेट नीति की शुरुआत की गई है।
खेल संस्कृति को बढ़ावा
देश के एकमात्र आइस रिंक को पुनः चालू किया गया। राज्य का पहला खेल विश्वविद्यालय और महिला स्पोर्ट्स कॉलेज भी स्थापित हो रहे हैं।
मंगल दलों का सशक्तिकरण
युवक और महिला मंगल दलों को प्रोत्साहन राशि, ऋण सुविधा और डिजिटल प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
रोज़गार में पारदर्शिता
पिछले 3 वर्षों में 23,000 से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी मिली है। चयन प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए सख्त कदम उठाए गए हैं।
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