महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने के बाद राज्य में सरकार बनाने के लिए शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच लगातार बातचीत जारी है। अभी तक कोई रास्ता नहीं निकल सका है। हालांकि तीनों दल अब भी प्रयास में लगे हैं। दूसरी तरफ बीजेपी ने साफ किया कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना संवैधानिक और तार्किक है। पार्टी ने इस मामले में विपक्ष के विरोध को खारिज कर दिया। कहा कि जिसके पास संख्या हो, वह एक बार सरकार बनाकर दिखाए।
उधर शिवसेना सुप्रीमों उद्धव ठाकरे ने कहा, बातचीत सही रास्ते पर है। शिवसेना ने कहा है कि वह गवर्नर के फैसले के खिलाफ कोर्ट में अपनी याचिका में अतिरिक्त समय नहीं देने की बात नहीं रखेगी। हालांकि पार्टी के वकील ने कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने को चुनौती देने वाली एक अन्य याचिका तैयार की जा रही है। शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा के नेता सरकार बनाने के लिए एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर काम करने में जुटे हैं। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे सुबह एक घंटे से अधिक समय तक महाराष्ट्र कांग्रेस नेताओं से बातचीत की। बैठक के बाद उन्होंने कहा कि सरकार गठन के लिए बातचीत “सही दिशा” में आगे बढ़ रही है।
इस बीच शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने पांच सदस्यों का एक पैनल बनाया है। यह कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाने के लिए बातचीत करेगी। इसमें अजित पवार, छगन भुजबल, नवाब मलिक और धनंजय मुंडे शामिल हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चौहान ने कहा कि सरकार बनाने की प्रक्रिया तभी शुरू होगी, जब तीनों दलों के वरिष्ठ नेता कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर मुहर लगा देंगे।
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि शिवसेना की मांग अस्वीकार्य है। उन्होंने विपक्ष के राष्ट्रपति शासन की आलोचना को भी खारिज कर दिया। कहा कि हम मध्यावधि चुनाव के पक्ष में नहीं है। कहा कि सभी दलों के पास छह महीने की मोहलत है। वे बहुमत साबित करें और सरकार बनाएं। अपने बयान और ट्वीट में उन्होंने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के इस दावे को खारिज कर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार सीएम पद साझा करने पर सहमति व्यक्त की थी। कहा कि वह स्वयं विधानसभा चुनावों के दौरान सार्वजनिक रूप से कम से कम 100 बार कहे थे कि अगर भगवा गठबंधन को बहुमत मिलता है तो देवेंद्र फडनवीस फिर से सरकार का नेतृत्व करेंगे।