मनोज त्रिपाठी की रिपोर्ट
प्रतापगढ़। बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहे यूपी में अब छोटी नदियों और नालों में भी उफान आ गया है। बुद्धवार से लगातार हो रही बारिश से जनजीवन अस्तव्यस्त हो चुका है। नदियों में उफान के चलते लोग पलायन को मजबूर है। जिले की आदि गंगा कही जाने वाली सई नदी में अपने रौद्र रूप में आ गयी तो वही इसकी सहायक नदियों और बरसाती नाले भी जबरदस्त उफान पर हैं। जिसके चलते बकुलाही नदी में मान्धाता इलाके में पुल के ऊपर से पानी बह रहा है। हालांकि जरूरी काम निपटाने को लोग जान जोखिम में डाल कर इस पुल से गुजर रहे है। तो वही सोनाही का पुल बह जाने से यहियापुर समेत दर्जनों गांवों का सम्पर्क टूट गया है।
इतना ही नही कई गांवों में घरों में पानी घुसने के चलते सड़के काट दी गई है। तमाम कानूनी प्रावधानों को धता बताते हुए भूमाफियाओं ने राजस्वकर्मियों की मिलीभगत से नदियों की बेड में भी प्लाटिंग कर जमीनों को बेच कर मोटा माल अंदर कर लिया। हालांकि किस लालच में लोग नदियों की तलहटी में घर बना कर आबाद हो गए ये फिलहाल रहस्य है। सई नदी के तट पर बने बेल्हा देवी मंदिर और प्रयागराज अयोधया हाइवे के बीच का नजारा तो और भी भयावह है। जहाँ तमाम लोग आबाद हो चुके है कई मकान निर्माणाधीन भी है। जो नदी में आई उफान के बाद घर गृहस्थी छोड़ कर सीने तक पानी से निकल कर पलायन कर रहे है। आरोप है कि कि पूर्व ब्लाक प्रमुख और एक लेखपाल ने यहा प्लाटिंग की थी।
अब सवाल यह है कि आखिर इन दोनों के पीछे किसकी ताकत रही और किसके प्रभाव में इस जगह पर मकान के मानचित्र की स्वीकृति मिली, फिलहाल इसका खुलासा तो जांच के बाद ही हो सकेगा। शहर के बीच से गुजरने वाले हाइवे जो दो धार्मिक नगरों को जोड़ता है उसका भी बुरा हाल है। घण्टाघर के पास इस हाइवे पर यहाँ के दुकानदार सड़क पर पानी भरे होने से परेशान होकर नगरपालिका पर व्यंगात्मक प्रहार करते हुए गाजेबाजे के साथ बीच सड़क पर पीपल का पौध रोपण कर रहे है। लोग बता रहे है कि पहले सरकार ने बजट पास किया था रोजगार के लिए मछली पालन का लेकिन बजट नही आया तो पर्यावरण को स्वच्छ करने के लिए वृक्षारोपण कर रहे है। बता दे कि एक दिन पहले इसी सड़क पर जलभराव के विरोध में व्यपारियो ने मछली मारने का भी स्वांग किया था। लेकिन प्रशासन मौन है।