नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या भूमि विवाद मामले की सुनवाई के सीधे प्रसारण या रिकॉर्डिंग की मांग करने वाली याचिका को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किये जाने के आदेश दिये हैं। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की एक संवैधानिक पीठ अयोध्या भूमि विवाद मामले की सुनवाई कर रही है।
पूर्व आरएसएस विचारक केएन गोविंदाचार्य की याचिका में अयोध्या मामले की सुनवाई के सीधे प्रसारण या रिकॉर्डिंग की मांग की गई है। यह याचिका न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई।
गोविंदाचार्य का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने पीठ के समक्ष अभ्यावेदन के बाद पीठ ने कहा कि मामले को प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए पेश किया जाना चाहिए।
वहीं दूसरी ओर, अयोध्या में राम जन्मभूमि मामले में 20वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा 1734 से अस्तित्व का दावा कर रहा है। लेकिन अखाड़ा 1885 में बाहरी आंगन में था और राम चबूतरा बाहरी आंगन में है जिसे राम जन्मस्थल के रूप में जाना जाता है और मस्जिद को विवादित स्थल माना जाता है।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के समक्ष धवन ने निर्मोही अखाड़े के गवाहों के दर्ज बयानों पर जिरह करते हुए महंत भास्कर दास के बयान का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने माना कि मूर्तियों को दिसंबर 1949 में विवादित ढांचे के बीच वाले गुंबद के नीचे रखा गया था।