वेद भदोला
नयी दिल्ली । आखिरकार आर बी आई ने सरकार को एक लाख छिहत्तर करोड़ रूपये देने का फैसला ले ही लिया है। रिजर्व बैंक (आरबीआई) के केंद्रीय बोर्ड ने यह फैसला लिया, जिसमें 1,23,414 करोड़ रुपये वित्त वर्ष 2018-19 का अधिशेष और 52,637 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान शामिल है। इसकी सिफारिश संशोधित आर्थिक पूंजी फ्रेमवर्क में की गई है जिसे आज केंद्रीय बोर्ड की बैठक में तय किया गया।
समिति ने केंद्रीय बैंक के वित्तीय लचीलापन, दूसरे देशों की परंपराओं, वैधानिक प्रावधानों और आरबीआई की सावर्जनिक नीति की अनिवार्यता के साथ-साथ इसके तुलन पत्र पर प्रभाव और इसमें शामिल जोखिम को ध्यान में रखते हुए अपनी सिफारिशें दीं।
इसके लिए रिजर्व बैंक ने सरकार की राय से विशेषज्ञों की एक समिति गठित की थी । जिसने तीन दिन पहले ही अपनी रिपोर्ट गवर्नर को सौंप दी थी। समिति की सिफारिशें इस तथ्य से निदेशित थीं कि आरबीआई मौद्रिक, वित्तीय और बाहरी स्थिरता के लिए पहले बचाव का जरिया बनाता है। इसलिए आरबीआई को लचीलापन बनाए रखने के लिए अपनी सार्वजनिक नीति के उद्देश्यों के अनुसार चलने की जरूरत होती है।