@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (08 अप्रैल, 2022)
नहर से पानी की चोरी को रोकने के लिए 13 आईएएस, 10 आईपीएस, दो चीफ इंजीनियर, तीन एडीशनल चीफ इंजीनियर, 14 थाने की पुलिस सहित करीब 1200 अधिकारियों-कर्मचारियों का तामझाम 2000 क्यूसेक पानी की सुरक्षा में तैनात किया गया है। पश्चिमी राजस्थान के बज्जू के पास आरडी 961 पर पुलिस, आरएसी और नहर अभियंताओं ने गश्त लगाकर किसानों को चेतावनी दी कि पानी चोरी ना करें। वर्ना जेल जाना पड़ सकता है।
मार्च से मई के बीच नहरबंदी होती है। यह समय कपास की बिजाई का होता है। नहर के करीब ढाई लाख हैक्टेयर क्षेत्र में कपास की बिजाई होती है। किसानों को इस वक्त पानी की सबसे ज्यादा जरूरत रहती है। इसलिए चोरी होती है। नहर विभाग नहरबंदी के बाद खरीफ की फसल के लिए सिंचाई का पानी देता है लेकिन तब तक बिजाई का समय बीत चुका होता है। ऐसे में किसान समय पर बिजाई करने के लिए पानी चोरी करते हैं।
सबसे ज्यादा पानी चोरी अनूपगढ़ ब्रांच, खाजूवाला, पूगल, छत्तरगढ़ और बज्जू इलाके में होती है। लेकिन मुख्य नहर की रखवाली जैसलमेर तक करती पड़ती है। इसके लिए आरएसी के सैकड़ों जवानों को हथियारों के साथ तैनात किया गया है। 19 अप्रैल तक रखवाली इसलिए जरूरी है क्योंकि तब तक ही पीने का पानी नहर में चलेगा। उसके बाद पूरी तरह पानी बंद हो जाएगा।
कपास की बुआई 15 अप्रैल से 15 मई तक की जा सकती है। यह पीक समय है। फसल 170 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। उसके बाद नहर सूखने की स्थिति में पहुंच जाएगी। तब तक पश्चिमी राजस्थान की करीब दो करोड़ आबादी की प्यास बुझाने के लिए सरकार ने पानी की चौकीदारी शुरू कर दी है। नहरबंदी के दौरान सिर्फ 2000 क्यूसेक ही पानी होता है जो पीने के काम आता है।
अगर इसमें चोरी हुई तो 10 जिलों की करीब दो करोड़ आबादी सीधी प्रभावित होती है। इसलिए सीएम कार्यालय से लेकर जल संसाधन, जलदाय, 10 जिलों के कलेक्टर-एसपी, तीन संभागीय आयुक्त, नहरी क्षेत्र के सभी मुख्य अभियंता समेत पूरे महकमे को पानी बचाने के लिए मैदान में उतार दिया गया है।
गौरतलब है कि मार्च से मई के बीच नहरबंदी होती है। यह समय कपास की बिजाई का होता है। नहर के करीब ढाई लाख हैक्टेयर क्षेत्र में कपास की बिजाई होती है। किसानों को इस वक्त पानी की सबसे ज्यादा जरूरत रहती है। इसलिए चोरी होती है। नहर विभाग नहरबंदी के बाद खरीफ की फसल के लिए सिंचाई का पानी देता है।