कल उत्तराखंड के मसूरी में हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्रियों का कॉन्क्लेव (Conclave) होने जा रहा है। अभी तक तो खबर ये है कि दस में से केवल तीन राज्यों के मुख्यमंत्री ही इसमें शिरकत करेंगे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आयेंगी या नहीं, ये भी तय नहीं है।
कॉन्क्लेव का अर्थ जानने का मन हुआ तो गूगल बाबा की शरण ली। मालूम हुआ कि Conclave का अर्थ confidential and secret meeting हुआ। फिर, एक बात ये भी मन में आयी कि अगर ये मीटिंग सीक्रेट है, तो फिर मैं क्यों इसमें सिर खपा रहा हूं। दरअसल, ये कॉन्क्लेव भी ठीक उसी तरह का दिखावा ही है जो आपने उत्तराखंड इनवेस्टर्स समिट में देखा। उस शिखर सम्मेलन में तो प्रधानमंत्री मोदी भी शामिल हुए थे। इसलिए, सब कुछ चाक-चौबंद था। लेकिन, यहां तो चादर में कई छेद हैं।
दरअसल, आज ग्लोबल वार्मिंग के खतरों के बीच हिमालय एक वृहद विषय बन गया है। हिमालय को समझने के लिए वहां के रहवासियों और उनकी दिक्कतों और जरूरतों को समझना बहुत जरूरी है। लेकिन, हो इसके ठीक उलट रहा है। शहरवाले वातानुकूलित घरों और वाहनों का आनंद ले रहे हैं और हिमालयी राज्यों को पाठ पढ़ाया जा रहा है कि हिमालय का स्वास्थ्य दुरुस्त रखें। अकेले उत्तराखंड में ही चारधाम परियोजना यनि ऑल वेदर रोड़ के नाम पर लाखों पेड़ काट दिए गये।
प्रत्येक ग्रीष्म ऋतु में उत्तराखंड के हजारों हेक्टयर जंगल आग लील जाती है। राज्य का वन विभाग लाचारगी से देखता रहता है। ऐसे में ये सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर इस सीक्रेट कॉन्क्लेव के मायने क्या हैं।