(5 अगस्त 2021)
@विनोद भगत
70 सदस्यीय विधानसभा में 57 सीटें जीतकर भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस को करारी शिकस्त देकर उत्तराखंड में सरकार बनाई थी। क्या एक बार फिर उत्तराखंड में भाजपा कुछ ऐसा ही प्रदर्शन दोहराने जा रही है।
प्रचंड बहुमत के बावजूद मुख्यमंत्री बदलने की कवायद से प्रदेश में भाजपा को नुकसान हुआ है। विपक्ष ने भी इस मुद्दे को हाथों हाथ लेकर पार्टी पर निशाना साधा है। लेकिन मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस खुद अपने ही दल में भारी अंतर्विरोधों में उलझा हुआ है। उत्तराखंड में जनता के सामने आमतौर पर दो ही विकल्प पिछले बीस वर्षों में सामने रहे हैं। भाजपा या कांग्रेस। बारी बारी से मतदाता दोनों दलों को मौका देते आये हैं।
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या उत्तराखंड का मतदाता वही चुनावी चक्र दोहरायेगा?
आपको याद दिला दें कि मार्च 2021 में एक चैनल और एजेंसी के सर्वे में भाजपा की सरकार वापस आती नहीं दिखाई गयी थी। सर्वे के हिसाब से कांग्रेस को राज्य में 32 से 38 सीटें मिलने बीजेपी को 24 से 30 सीटें मिलने का बीएसपी को 0 से 6 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था।
सर्वे में अप्रत्याशित रूप से से पहली बार उत्तराखंड में चुनाव में आ रही आम आदमी पार्टी को 2 से 8 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था । तो वहीं अन्य के खाते में 3 सीटें आ सकती थी ।
बता दें कि यह सर्वे उस समय किया गया जब त्रिवेन्द्र रावत को हटाकर तीरथ सिंह रावत को राज्य की कमान सौंपी गई थी। अंदरूनी तौर पर कराये गये सर्वे में तीरथ सिंह रावत के अल्प कार्यकाल में भाजपा को सीटों के मुकाबले और अधिक नुकसान होता दिखाई दिया। बताते हैं कि इससे पार्टी में देहरादून से लेकर दिल्ली तक खलबली मच गई। राय मशवरे और गहन मंथन के बाद एक बार फिर मुख्यमंत्री बदलने का फैसला किया गया। युवा चेहरे को सामने लाकर भाजपा ने कुछ हद तक अपनी स्थिति सुधारने की कोशिश कर ली है। जानकारों की मानें तो इससे उत्तराखंड में भाजपा को फायदा मिल सकता है।
पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने सियासी नफा-नुकसान का आकलन कर रणनीति बनाई है।
याद दिला दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड में कांग्रेस को 33.5 फीसदी वोट मिले थे। बीजेपी को 46.5 फीसदी वोट मिले तो वहीं बीएसपी को 7 फीसदी वोट हासिल हुए। जबकि, अन्य के खाते में 13 फीसदी मत मिले।
राज्य में नये दल आम आदमी पार्टी के उतरने से समीकरण गड़बड़ा रहे हैं। आप ने सीधे कर्नल अजय कोठियाल को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश कर भाजपा और कांग्रेस से इस मामले में बाजी मार ली है। मार्च के सर्वे में आठ सीटों की संभावना वाली आम आदमी पार्टी ने पिछले चार महीनों में स्थिति सुधार ली है। आठ सीटें तब बतायी जा रही थी जब कर्नल कोठियाल सामने नहीं थे और न ही 300 यूनिट बिजली फ्री की घोषणा थी।
दरअसल भाजपा और कांग्रेस आम आदमी पार्टी को प्रकट में तो हल्के में ले रही हैं लेकिन भीतर ही भीतर आप के बढ़ते जनाधार से परेशान हैं। दिल्ली में भी केजरीवाल पर लगातार हमलों के बावजूद 67 सीटों पर जीत हासिल कर आम आदमी पार्टी ने इतिहास रच दिया था। उत्तराखंड में तो खैर यह संभव नहीं लेकिन यह संभावना जरूर है कि 2022 में उत्तराखंड में बनने वाली सरकार में आम आदमी पार्टी की भूमिका अवश्य रहेगी। बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी इन तीन दलों के मुकाबले यहाँ कम सक्रिय दिखाई दे रही है।