चिकित्सा के पेशे को शर्मसार करने वाला एक मामला महाराष्ट्र में तूल पकड़ गया है। हालांकि मामले का खुलासा अप्रैल में ही हो गया था। तब इस मामले को लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस भी जारी किया था।
आज महाराष्ट्र विधानसभा में स्वास्थ्य मंत्री एकनाथ शिंदे ने जानकारी दी कि अब तक 4605 महिलाओं के गर्भाशय निकाले जाने की सूचना है। और राज्य सरकार ने इसकी जांच के आदेश दे दिए हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। समिति दो माह के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। समिति सभी पीड़ित महिलाओं से बात करेगी। उन्होंने बताया कि राज्य के सभी डाक्टरों को निर्देश दिए गये हैं कि वह महिलाओं के गर्भाशय न निकालें।
उधर इस मामले को लेकर विधान परिषद् में शिवसेना की नेता नीलम गोर्हे ने विधान परिषद में इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने इसे अमानवीय और खतरनाक मामला बताया। नीलम गोर्हे ने कहा कि बेहद अजीब है कि प्राइवेट डॉक्टर ने इतनी बड़ी संख्या में और हल्की बीमारी में भी महिलाओं का गर्भाशय निकाल दिया। ये सभी गन्ना तोड़ने वाली मजदूर हैं।यह कोई साजिश भी हो सकती है।आशंका है कि कॉन्ट्रेक्टर और डॉक्टर की मिली भगत से ऐसा किया गया हो. इसके पीछे यह भी वजह हो सकती है कि महिलाओं को उनके पीरियड के चलते और गर्भवती महिलाओं को छुट्टी देनी पड़ती है। जिससे छुटकारा पाने के लिए यह कदम उठाया गया हो।