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गर्म लोहे पर चोट करना ही तृणमूल कांग्रेस की रणनीति

@शब्द दूत ब्यूरो

भारतीय जनता पार्टी के नेता मुकुल रॉय ने आखिरकार ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस में वापसी कर ही ली। रॉय अपने बेटे शुभ्रांशु रॉय के साथ अपनी ‘पुरानी पार्टी’ के मुख्‍यालय पहुंचे। दरअसल, मुकुल रॉय की घर वापसी टीएमसी की वो रणनीति है, जिसके तहत उसने ‘गर्म लोहे पर हथौड़ा’ मारा है, मतलब पश्चिम बंगाल में बीजेपी को रोकने की रणनीति। फिलहाल बंगाल में बीजेपी के 18 लोकसभा सांसद हैं और टीएमसी ने 2024 में होने वाले आम चुनाव की बिसात की तैयारी रॉय को अपनी ओर खींचकर की है।

टीएमसी अपने इस मकसद को पूरा करने के लिए और अपने भविष्य की रूपरेखा तैयार करने के लिए, राज्य में भाजपा विरोधी भावना को भुनाने के लिए उत्सुक है। पुराने नेताओं की घर वापसी से जुड़े ऑपरेशन पर टीएमसी नेताओं और पार्टी में शामिल होने वाले नेताओं ने चुप्पी साधी हुई है और इसे टॉप सीक्रेट रखा हुआ है।

यही नहीं, टीएमसी अन्य नेताओं को भी घर वापसी के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इन नेताओं में पूर्व मंत्री राजीब बनर्जी, पूर्व विधायक प्रबीर घोषाल और सरला मुर्मू शामिल हैं। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव ने इन तीनों को शिकस्त मिली थी। मिली जानकारी के अनुसार, टीएमसी से भाजपा में गए कुछ मौजूदा विधायक भी अपनी पुरानी पार्टी में वापस आना चाहते हैं।

टीएमसी पिछले काफी समय से सक्रिय रूप से मुकुल रॉय को लुभा रही थी। दरअसल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा चुनाव के दौरान एक रैली में कहा था, ‘मुकुल रॉय शुभेंदु अधिकारी जितने खराब नहीं हैं।’ बंगाल में शुभेंदु अधिकारी को लेकर बीजेपी जीत के प्रति काफी आश्वस्त थी लेकिन ऐसा नहीं हो सका। यह बीजेपी के लिए दुर्भाग्यपूर्ण जरूर था लेकिन नंदीग्राम में ममता बनर्जी पर शुभेंदु की जीत पार्टी के लिए एकमात्र उपलब्धि रही।

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