वेद भदोला
उत्तराखंड के नैनीताल जिले के रामनगर से 60 किलोमीटर एवं गौलीखाल से तकरीबन 5 किलोमीटर दूर मंजेडा बैण्ड- जडाऊखांद मोटर मार्ग पर स्थित पवित्र और चमत्कारी नागराज जी का भव्य मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त नागपंचमी को नागराज जी की चमत्कारिक शक्ति के दर्शन करता है, उसका घर सुख शान्ति व धन-धान्य से भर जाता है। नागराज जी के दरबार में दो मूर्तियां हैं एक स्वयं नागराज जी की और दूसरी मूर्ति उनकी अर्धांगिनी नागिन जी की। इन दोनों का दरबार नाग-पंचमी श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को लगता है। यहां प्रत्येक वर्ष नागपंचमी के दिन देश- विदेश से भारी संख्या में श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ण करने हेतु नागराज जी के दर्शन करने आते हैं। यहां नागपंचमी के दिन कालसर्प की भी पूजा की जाती है। जिस भक्त पर कालसर्प की छाया हो तो दरबार में आते ही उसका समाधान हो जाता है। यहां पर नाग-पंचमी के दिन किसी भाग्यशाली को ही नाग और नागिन का जोड़ा दिखाई देता है।
मंदिर से थोड़ी दूर नीचे की तरफ नाग और नागिन जल कुण्ड है। यहां पर पानी का पहाड़ो के अन्दर से रिसकर आता है। नागपंचमी के दिन नाग और नागिन पानी पीने इस जलाशय में आते हैं। फिर बाद में वहीं से लुप्त हो जाते हैं।
नागराज मंजेड़ा नौखाल मंदिर के बगल में भोले बाबा की एक अद्भुत मूर्ति विराजमान हैं। कहावत है कि नाग-पंचमी के दिन जो भक्त नाग और नागिन के दर्शन करने के बाद भोले बाबा के दर्शन करके मंदिर के 7 चक्कर लगायेगा। उसे नाग और नागिन अपने साक्षात दर्शन देते हैं।