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प्रदूषण को लेकर आयोग के गठन को हरी झंडी, केंद्र के अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी

@शब्द दूत ब्यूरो

नई दिल्ली। बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा जारी अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई है. इस अध्यादेश के मुताबिक राजधानी दिल्ली और एनसीआर के इलाकों में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए एक आयोग का गठन किया जाएगा। इस आयोग में कुल 17 सदस्य होंगे। आयोग जनता की भागीदारी और समन्वय पर जोर देगा. यह आयोग लगातार अपने काम और रिपोर्ट की जानकारी संसद के पटल पर रखेगा।

यह आयोग केंद्र सरकार की देखरेख में काम करेगा. इस आयोग के आने के बाद एपीसीए के साथ-साथ तमाम समितियों, टास्क फोर्स, न्यायालय द्वारा बनाई गई समितियों को ख़त्म कर दिया जाएगा। वायु प्रदूषण को लेकर बनी अलग-अलग समितियों और आदेशों में अक्सर समन्वय नहीं बन पाता था। अब सिर्फ़ यह आयोग ही वायु प्रदूषण संबंधी आदेश और निर्देश जारी करेगा।

इस आयोग का अध्यक्ष वही होगा जो केन्द्र सरकार में सचिव या राज्य में मुख्य सचिव रह चुका हो। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय का संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी भी इसका सदस्य होगा। इस आयोग में एक-एक सदस्य दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से होंगे।

आयोग देश के सड़क ऊर्जा ,शहरी  विकास मंत्रालयों से भी सदस्य रख सकता है। इस आयोग का मुख्यालय दिल्ली में होगा। इस आयोग के पास दिल्ली एनसीआर से संबंधित प्रदूषण नियंत्रण के लिए कोई भी आदेश देने की शक्ति होगी और कोई भी दूसरी समिति या अथॉरिटी आयोग के आदेश में हस्तक्षेप नहीं कर सकेगी।

आयोग का प्रमुख केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा। इस आयोग के पूर्णकालिक सदस्य भी केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाएंगे। इस आयोग के अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होगा। अध्यक्ष अगर भ्रष्टाचार या अपने पद का दुरुपयोग करते पाया गया तो उसे हटाने का अधिकार भी केंद्र सरकार के पास होगा। इस आयोग में केंद्र सरकार के सचिव स्तर का अधिकारी कोआर्डिनेटर होगा।

आयोग द्वारा बनाए गए तमाम नियम-कानूनों को 30 दिन के अदर या तुरंत संसद के अंदर प्रस्तुत किया जाएगा। संसद के पास आयोग द्वारा बनाए गए नियमों में बदलाव करने का अधिकार होगा। इस आयोग के पास कहीं भी और किसी भी फैक्ट्री, उद्योग धंधों में जाकर जांच करने के अधिकार होंगे। इस आयोग के पास 5 साल तक सज़ा देने और 5 करोड़ तक जुर्माना लगाने के अधिकार होंगे। आयोग के आदेशों को सिर्फ एनजीटी में ही चुनौती दी जा सकेगी। इस आयोग का गठन करके जनता की भागीदारी, राज्यों के बीच समन्वय को बढ़ाया जाएगा। इस आयोग के अंतर्गत तीन सब कमेटी भी होंगी।

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