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पुलवामा के शहीद रोहिताश को चुनाव में इस्तेमाल करना चाहते थे नेता

@शब्ददूत ब्यूरो

जयपुर। 27 वर्षीय शहीद रोहिताश लांबा के गांव में उनकी शहादत आज भी सबको याद है। जयपुर के शाहपुरा का यह वीर एक साल पहले पुलवामा में हुए आतंकी हमले में देश के नाम न्योछावर हो गया था। लांबा के परिवार और गांव के लोग आज भी उनको याद करके गर्व महसूस करते हैं, लेकिन प्रदेश और देश की सरकारों ने उनको बहुत जल्द भुला दिया है।

परिवार वालों का आरोप है कि शहादत के कुछ समय बाद तक तो नेताओं ने लांबा के परिवार को पूछा पर जो उनसे वायदे किए गए थे उनमें से कई आज भी अधूरे हैं। रोहिताश लांबा के पिता बाबूलाल लांबा ने कहा कि पुलवामा में हुए हमले के कसूरवार कौन थे और उन्हें सजा मिली भी है या नहीं यह बात उन्हें नहीं पता। उनका कहना था कि उन्हें आज तक नहीं बताया गया है कि हमला करने वाले कौन थे और उनके खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई हुई है।

लांबा ने कहा कि परिवार को प्रदेश और केंद्र के सरकारों से लगभग डेढ़ करोड़ रुपए का मुआवजा मिला है पर वे आतंकी हमले में की जांच को लेकर संतुष्ट नहीं हैं। परिवार वालों के मन में यह भी टीस है कि भारत की धरती पर इतना बड़ा हमला अगर हुआ तो हुआ कैसे और अगर इंटेलिजेंस की नाकामी थी तो उसके लिए किसी को जिम्मेवार क्यों नहीं ठहराया गया।

रोहिताश लांबा के छोटे भाई जितेंद्र लांबा का यह आरोप है कि उन्हें नौकरी का वादा किया गया था पर प्रदेश की सरकार के मंत्रियों के चक्कर लगाने के बावजूद उन्हें नौकरी नहीं दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि रोहिताश लांबा की याद में किसी विद्यालय या सड़क का आज तक नाम नहीं रखा गया है। जितेंद्र लांबा ने कहा कि, “मुझे एक मंत्री से दूसरे मंत्री के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। मेरे भाई की मौत के बाद यह वादा किया गया था कि मुझे नौकरी दी जाएगी पर इतना समय बीत जाने के बाद बाद भी मुझे नौकरी नहीं मिल रही है। पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले दो बार बुलाया गया और सांसद के चुनाव के लिए टिकट देने की बात की गई। मैंने कहा कि नौकरी दे दीजिए। तब कहा गया था कि नौकरी दी जाएगी पर इतना समय बीतने के बावजूद नौकरी नहीं मिली है।”

अपनी शहादत के समय रोहिताश लांबा की शादी को लगभग डेढ़ साल हुआ था। उनके बेटे को जन्मे 2 महीने का समय भी नहीं हुआ था जब रोहिताश लांबा शहीद हो गए। नम आंखों के बावजूद अपने पति की शहादत को याद करते हुए रोहिताश लांबा की पत्नी मंजू जाट ने कहा कि वह चाहती हैं कि उनका बेटा बड़ा होकर सेना में जाए। वहीं, लांबा की मां अपने बेटे की शहादत के बारे में सोच कर रो पड़ती हैं।

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