✍भैरू सिंह राठौर
भीलवाड़ा (राजस्थान)। निर्वाचन आयोग द्वारा पंचायत चुनाव की घोषणा किए जाने के बाद गांवों में बसे बरसों से अपने मन में सरपंच पद की लालसा पालें कई उम्मीदवारों की बांछे खिल गई है। लेकिन यकायक बदनोर पंचायत समिति बनने का मामला अदालत में जाने से आसींद पंचायत समिति की ग्राम पंचायतों में सरपंच बनने का ख्वाब देख रहे उम्मीदवारों की हालत “सिर मुंडाते ही ओले गिरे” वाली कहावत को चरितार्थ कर रही है। बहुत से उम्मीदवार अपनी जीत के प्रति आशंकित नजर आ रहे हैं। सुप्रिम कोर्ट के संभावित आदेशानुसार राज्य में पंचायत चुनाव का अप्रैल में होना निश्चित माना जा रहा है।
बहरहाल पंचायतों के सरपंच उम्मीदवारों की जीत का फैसला तो वक्त आने पर आम मतदाता ही तय करेंगे। भीलवाड़ा जिले की आसींद तहसील के कालियास कस्बे में होने वाले पंचायत चुनाव में इस बार मतदाताओं की राय के अनुसार नतीजे चौंकाने वाले होंगे। पुख्ता सूत्रों की मानें तो वाकई परिणाम आश्चर्यजनक होंगे। अगर सरपंच पद की लाटरी वापस नहीं निकलती हैं तो मुमकिन है स्थिति इस तरह रहने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
कालियास पंचायत में सरपंच पद पर भाजपा से भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री शक्ति सिंह चुंडावत की पत्नी तारा कंवर चुनावी मैदान में हैं। बहरहाल शक्ति सिंह को चुनावी रण में बहुत से मतदाताओं का समर्थन तो मिलेगा मगर उनके अपने ही व्यक्तियों से भीतरघात का सामना करना पड़ेगा तो अपनी ही पार्टी के कार्यकत्ताओं की नाराज़गी भी नुकसानदेह साबित होगी। जो शक्ति सिंह चुंडावत के लिए निहायत ही अच्छे संकेत नहीं मानें जा सकते हैं। मगर वर्तमान विधायक जब्बर सिंह सांखला की घनिष्ठता व उनके चुनाव में सक्रियता का कुछ हद तक लाभ मिल सकता है।वहीं पंचायत समिति सदस्य के चुनाव में शक्ति सिंह अपने चहेते फतेह सिंह को टिकट दिलाना चाहते थे पर तत्कालीन विधायक रामलाल गुर्जर की वजह से यह संभव नहीं हो पाया। जिस कारण शक्ति सिंह विधायक रामलाल गुर्जर से अच्छे खासे नाराज़ चल रहे थे, और शक्ति सिंह विधानसभा के चुनाव में टिकट लेने की दौड़ में अग्रणी थे।
पुख्ता सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार शक्ति सिंह ने ही पुवॅ विधायक रामलाल गुर्जर का टिकट कटवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसी के चलते पूर्व विधायक रामलाल गुर्जर के समर्थक पंचायत चुनाव में शक्ति सिंह को अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैैं। दूसरी तरफ भाजपा के ही युवा कार्यकर्ता शिव सिंह पंवार चुनाव मैदान में हैं जिसे राणा राजपूत समाज के युवाओं का साथ तो मिलेगा पर बुजुर्ग मतदाताओं का रुख अभी असमंजस की स्थिति में है। वहीं दूसरी तरफ वर्तमान विधायक जब्बर सिंह सांखला से घनिष्ठता भी कुछ हद तक समाज के वोटों का ध्रुवीकरण कर सकती हैं।
भाजपा से तीसरी तरफ युवा उद्यमी विनोद कुमार शर्मा जो दूसरी जाति के साथ साथ ब्राह्मण समाज के वोटों पर अच्छी पकड़ रखते हैं। चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। पूर्व में भी यह चुनाव लड़ चुके हैं। जब इस संवाददाता भैरू सिंह राठौड़ ने आसींद विधायक जब्बर सिंह सांखला से बात की तो उन्होंने बात को टालते हुए कहा कि सभी कार्यकर्ता भाजपा के अपने हैं उन्होंने किसी भी उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने से इंकार कर दिया है। और उन्होने सरपंच के सभी भाजपा समर्थित उमीदवारों को आपस में समझाने की बात कही। पर एसी संभावना नगण्य है और पूर्व विधायक रामलाल गुर्जर से बात की तो कहीं ना कहीं अपने मन में अपना विधायक का टिकट काटे जाने की टीस साफ़ झलक रही थी। और गत पंचायत समिति के चुनाव में अपने संबंधी उगम राज गुर्जर का यहां से हार जाना भी खल रहा था। उन्होंने चुप रहना ही बेहतर समझा। उनकी रहस्यमय चुप्पी शायद भाजपा उम्मीदवारों को नुक्सान पहुंचा सकती है।
कांग्रेस से एकमात्र उमीदवार रिटायर्ड फौजी संजय सिंह शक्तावत की पत्नी अनिता देवी चुनाव मैदान में हैं और अगर यही स्थिति रही तो कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक मिलना तय है। वहीं भाजपा का वोट बैंक तीन उम्मीदवारों के पक्ष में बंटना ही भाजपा की पराजय का कारण बनेगा। और पूर्व विधायक हगामी लाल मेवाड़ा से बातकी तो उनके कांग्रेस के उम्मीदवार संजय सिंह शक्तावत के बारे में उनका रुख जानने की कोशिश की तो उन्होंने खुलकर समर्थन देने की बात कही है। अगर स्थिति यही रहती है तो निःसंदेह भाजपा उम्मीदवारों के लिए चिंता का विषय है तो एक खुश खबरी भी है कि कांग्रेस का एक बहुत बड़ा धड़ा कांग्रेस से उमीदवारी जता रही संजय सिंह शक्तावत की पत्नी अनिता देवी के खिलाफ भी है। अगर भाजपा उम्मीदवारों की आपसी समन्वय होता है तो निःसंदेह परिणाम उलट हो सकते हैं पर इसकी संभावना नगण्य है जो कहीं ना कहीं भाजपा के लिए घातक ही साबित होगी इसमें कहीं कोई संशय नहीं है।