काशीपुर। पिछले बीस वर्षों से भाजपा के टिकट पर भाजपा बनते आ रहे हरभजन सिंह चीमा अपने मूल दल अकाली दल के सीएए पर स्टैंड को लेकर अधर में फंसते नजर आ रहे हैं। दरअसल अकाली दल पंजाब में सीएए का विरोध कर रहा है। यही नहीं दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा अकाली दल के बीच समझौता नहीं हो सका।
उधर उत्तराखंड अकाली दल के प्रदेश अध्यक्ष हरभजन सिंह चीमा सीएए का समर्थन कर रहे हैं। शब्द दूत ने विधायक हरभजन सिंह चीमा से इस मुद्दे पर बात की तो उनका कहना था कि अकाली दल सीएए का विरोध नहीं कर रहा। पंजाब में कांग्रेस की सरकार है और कांग्रेस पूरे देश में सीएए को लेकर भड़काऊ बयानबाजी कर रही है। दिल्ली में अकाली दल और भाजपा के मिलकर चुनाव न लड़ने पर भाजपा विधायक चीमा ने कहा कि इससे दोनों दलों के बीच राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन में कोई फर्क नहीं पड़ेगा। हर राज्य की अपनी स्थिति के अनुसार चुनाव लड़ा जाता है।
बता दें कि सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ने से को इनकार कर दिया। पार्टी नेता मनिंदरजीत सिंह सिरसा ने कहा कि भाजपा ने नागरिकता संशोधन कानून पर हमें अपना स्टैंड बदलने को कहा था, लेकिन हमने अपना स्टैंड बदलने की बजाय चुनान न लड़ने का फैसला किया है। अकाली दल नेता सिरसा ने कहा कि सुखबीर बादल ने सीएए पर जो स्टैंड लिया है, उसे बदलने की बजाय हमने चुनाव न लड़ने का फैसला किया है। हम मानते हैं कि नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजंस को लागू नहीं किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि शिरोमणि अकाली दल ने नागरिकता संशोधन कानून का स्वागत किया था लेकिन उसकी मांग थी कि इसमें सभी धर्मों के लोगों को शामिल किया जाए। पार्टी परोक्ष रुप से मुस्लिमों को भी इसमें शामिल करने की मांग कर रही थी।
इससे पहले भाजपा दिल्ली विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल (बादल) के साथ मिलकर चुनाव लड़ती रही है। गठबंधन के तहत राजौरी गार्डन, हरि नगर, कालकाजी और शाहदरा सीटों पर अकाली दल का उम्मदीवार उतरता था। इस बार अकाली दल की तरफ से दो अतिरिक्त सीटों की मांग की जा रही थी। बताया जा रहा है कि दिल्ली भाजपा इसके पक्ष में नहीं थी।