छतरपुर । “जवाहर लाल नेहरु का सपना था कि आजाद भारत में सबको शिक्षा बिना भेदभाव के मिले। इसीलिए उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के बाद १९५१ में आई. आई. टी. खडगपुर, १९६१ में आई. आई. एम. अहमदाबाद, १९५२ में एम्स , साहित्य अकादमी, एन सी ई आर टी, एन सी इ आर, यू जी सी तथा नेशनल बुक ट्रस्ट जैसी संस्थाओं की आधार शिक्षा रखकर देश को सस्ती व तार्किक शिक्षा दिलाने का प्रयत्न किया। इन समस्त संस्थाओं का नियंत्रण सरकारी न रखकर स्वायत्त रखा। ” यह विचार चिंतक व लेखक पंकज चतुर्वेदी ने महाराजा महाविद्यालय, के सरस्वती सभागार में ‘नेहरु तथा शिक्षा’ विषय पर व्याख्यान देते हुए व्यक्त किए। इस समारोह की अध्यक्षता प्राचार्य डा. एल. एल. कोरी ने की। इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक डा.बहादुर सिंह परमार, स्वशासी नियंत्रक डा. जे.पी. मिश्रा अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डा. बी.पी.एस. गौर, डा. कल्पना वैश्य, डा. के. बी. अहिरवार, श्री देवेन्द्र प्रजापति, सुश्री दुर्गा वती सिंह व श्री नंदकिशोर पटेल व बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित रहे। संचालन नंदकिशोर पटेल ने किया।
कार्यक्रम में माँ सरस्वती व नेहरु के चित्र पर अतिथियों ने माल्यार्पण किया। तदुपरांत छात्रा फूलवती अनुरागी ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। माल्यार्पण से स्वागत उपरांत संयोजक डा. परमार ने कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुए बताया कि म. प्र. शासन उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार नेहरु की १३० वीं वर्षगाँठ को साल भर श्रृंखला बद्ध ढंग से मनाया जा रहा है। आज सौभाग्य होता कि इसी नगर के निवासी व महाविद्यालय के पूर्व छात्र पंकज जी हमारे बीच व्याख्यान के लिए उपस्थित हैं। मुख्य वक्ता पंकज चतुर्वेदी ने आजादी के पहले से आजादी तक के साक्षरता के आंकड़ों तथा अंग्रेजी नीतियों के माध्यम से शिक्षा की दशा पर प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि आजादी मिलने पर नेहरु ने सपना देखा कि सभी को सस्ती, बिना भेदभाव के वैज्ञानिक शिक्षा मिले। इसके प्रयासों से ही देश को मजबूत आधार मिला। उन्होंने अपने कराँची प्रवास के संस्मरण को सुनाकर पाकिस्तान दुर्दशा व भारत की बेहतर स्थिति को तथ्यों से समझाया। उनका मानना था कि हमें बिना राजनीतिक दुराग्रह के सस्ती शिक्षा के लिए संघर्ष में शामिल होना चाहिए। अध्यक्षीय उद्बोधन में डा. कोरी ने नेहरु के योगदान को रेखांकित किया। आभार ज्ञापन सुश्री दुर्गावती सिंह ने किया।