@ विनोद भगत
उत्तराखंड में 2022 के चुनाव को लेकर राजनीतिक दल शुरूआती तैयारी में जुट गए हैं। भाजपा के नये प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने अपनी ताजपोशी के बाद 2022 के चुनावों को लेकर अपनी प्राथमिकता बताई। बंशीधर भगत ने अपने पहले बयान में कहा है कि 2022 में 2017 सरीखा प्रर्दशन करना उनका लक्ष्य है। उधर कांग्रेस में चुनाव की तैयारियों के स्थान पर सिर फुटोव्वल मची हुई है।
कांग्रेस अपने नेताओं की आपसी खींचतान से मुक्त नहीं हो पा रही है। दिग्गज नेताओं हरीश रावत व नेता प्रतिपक्ष डा इंदिरा ह्रदयेश के गुटों में बंटी कांग्रेस एक बार फिर हाशिये पर जाती दिख रही है। गाहे-बगाहे दोनों के समर्थक कोई नया बयान जारी कर पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी करते रहे हैं। और यह बात जग जाहिर है। हालांकि अभी राज्य विधानसभा चुनाव काफी दूर हैं। पर देखा जा रहा है कि ऐन चुनाव के मौके पर कांग्रेस नेताओं की आपसी खटास उभर आती है। जिसका खामियाजा सत्ता से बाहर रहकर भुगतना पड़ता है। दरअसल कांग्रेस को यहाँ भाजपा नहीं हराती खुद कांग्रेस के ही लोग हरा रहे हैं। और यह सिलसिला जारी है।
इस बार सूत्रों से खबर है कि उत्तराखंड क्रांति दल का सहारा कांग्रेस का एक गुट गढ़वाल में लेगा। तो दूसरा गुट भाजपा के ही कुछ नेताओं के सहारे सत्ता की बागडोर संभालने की योजना पर काम कर रहा है। इसके पीछे इस गुट का तर्क यह है कि 2017 सरीखा प्रदर्शन इस बार भाजपा के लिए मुमकिन नहीं है। कारण मौजूदा मुख्यमंत्री से भाजपा का ही एक गुट खुश नहीं है। वहीं इस गुट का यह भी मानना है कि जिस तरह से हरीश रावत सरकार में बागी पैदा हुये थे वैसी ही स्थिति 2022 के चुनाव के आसपास होगी।
वहीं कांग्रेस में कुछ नेताओं ने तो अभी से अपने अपने मुख्यमंत्री चुन लिए हैं। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रदयेश को तो उनके समर्थकों ने अभी से मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट करने की कवायद शुरू कर दी है तो हरीश रावत के समर्थकों के अपने दावे हैं।।
आने वाले चुनाव से पहले भाजपा जहाँ अपने पांच वर्षों के कार्यकाल के लेखे जोखे के साथ आयेगी तो कांग्रेस अपने-अपने मुख्यमंत्रियों के नाम पर। या समय रहते कांग्रेस अपने में सुधार लाएगी यह देखना अपने आप में दिलचस्प होगा। चुनाव से पहले के दो साल कांग्रेस के पास समय है।