@वेद भदोला
नई दिल्ली। केन्द्र सरकार का खजाना फिर खाली होने की खबरें आ रही हैं। साथ ही आर्थिक मोर्चे पर सरकार की मुश्किलें बढ़ रही है। बताया जाता है कि सरकार को रोजमर्रा के कामों के लिए धन की कमी आड़े आ रही है। सरकार की कमाई के साधन कम हो रहे हैं। जबकि खर्चों में कमी नहीं हो पा रही है।
संभावना जताई जा रही है कि सरकार एक फिर से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का मुंह ताकना पड़रहा है। एएक समाचार एजेंसी के मुताबिक सरकार आरबीआई 45 हजार करोड़ रुपए की मांग करने जा रही है।
यहां गौरतलब है कि पिछले साल सरकार को आरबीआई की ओर से 1.76 लाख करोड़ रुपए मिले थे। सरकार भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से 35000-45000 करोड़ रुपए की मदद मांग सकती है। सरकार का मानना है कि 2019-20 एक अपवाद है। ऐसे में आरबीआई लाभांश का हिस्सा सरकार को दे। इसी बात को सरकार आरबीआई को समझाने का प्रयास करेगी। मौजूदा समय में देश की विकास दर 5 फीसदी पर आ गई है। जो पूरे साल की विकास दर भी हो सकती है। पैसे नवंबर के महीने में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी देखने को मिली थी। जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में 2 फीसदी की दर से विकास करेगा, जो पिछले साल करीब 6 फीसदी की दर से विकास कर रही थी। जिसका असर सरकार की इनकम पर भी पड़ेगा।
वित्त वर्ष 2019-20 में सरकार की ओर रेवेन्यू टारगेट करीब 20 लाख करोड़ रुपए का रखा है। जिसके आड़े आर्थिक सुस्ती आ रही है। जिसकी वजह से कमाई उस गति से नहीं हो रही है जिससे रेवेन्यू टारगेट को पूरा किया जा सके। वहीं कॉरपोरेट टैक्स रेट में कटौती के बाद हर साल सरकार के खजाने पर 1.5 लाख करोड़ का बोझ बढ़ गया है। वहीं जीएसटी से भी हर महीने उम्मीद के मुताबिक कमाई नहीं हो रही है।
सरकार के लिए यह पहला मामला नहीं है जब आरबीआई से मदद की डिमांड की है। चालू वित्त वर्ष सरकार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से 1.76 लाख करोड़ रुपए जारी हुए थे। मौजूदा वित्त वर्ष में अब तक 1,23,414 करोड़ रुपए जारी किए हो चुके हैं। जो अब तक एक साल में किए गए ट्रांसफर में सबसे ज्यादा है। वहीं रिजर्व बैंक ने एकबार में 52,637 करोड़ रुपए अलग से ट्रांसफर किए थे जिसको लेकर काफी विवाद देखने को मिला था।