वॉशिंगटन। अमेरिका और ईरान के बीच चल रहा तनाव अब खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। आज सुबह ईरान ने ईराक स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला कर विश्व की महाशक्ति अमेरिका को खुली चुनौती दी है।
बता दें कि गत दिनों अमेरिका ने एक हमला कर जनरल कासिम सुलेमानी को मार डाला था। जिसके बाद ईराक ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया था। इसी क्रम में आज ईरान ने यह हमले की कार्रवाई की है।
आज तड़के ईरान ने इराक के अनबर प्रांत में स्थित ऐन अल-असद बेस और इरबिल में एक ग्रीन जोन (अमेरिकी सैन्य ठिकानों) पर 12 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइल दागीं। हालांकि इस हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ट्वीट कर कहा, “अभी सब ठीक है। ईरान ने इराक स्थित दो मिलिट्री बेस पर मिसाइल लॉन्च कीं। अभी इस हमले के नुकसान की विस्तृत जानकारी नहीं मिल पाई है। उन्होंने कहा कि नुकसान और मौतों का जायजा लिया जा रहा है। अब तक सब ठीक है। हमारे पास दुनिया की सबसे ताकतवर सेना है। मैं कल सुबह इस मामले पर बयान जारी करुंगा।”
उधर अमेरिका की फेडरल एविएशन कमीशन ने ईरान, इराक और ओमान की खाड़ी की तरफ जाने वाले यात्री विमानों के लिए नोटाम (नोटिस टू एयरमैन) जारी किए हैं। इसके मुताबिक, अमेरिका ने पश्चिमी एशिया पर करीब से नजर बनाई है।न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, इसके बाद इराक के आसमान पर मिलिट्री जेट्स की हलचल देखी गई।
वहीं ईरान की सरकारी मीडिया ने कहा है कि यह हमले जनरल सुलेमानी की हत्या का बदला लेने के लिए किए जा रहे हैं। ईरान के रेवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने बयान जारी कर कहा, “हम अमेरिका के सभी साथियों को चेतावनी देते हैं कि वे एक आतंकी सेना को अपने बेस इस्तेमाल न करने दे। अगर उनके किसी भी क्षेत्र को ईरान के खिलाफ हमले में इस्तेमाल किया गया, तो उसे निशाना बनाया जाएगा।”ईरान ने धमकी दी है कि अगर अमेरिका इन हमलों का जवाब देता है, तो उसकी हिज्बुल्ला सेना इजराइल पर रॉकेट दागेगी।
ईरान की फार्स न्यूज एजेंसी ने बताया कि रेवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने अमेरिकी बेसों पर हमले के लिए फतेह-313 मिसाइलें इस्तेमाल कीं। यह जमीन से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलें हैं। इनकी रेंज 300 किमी. तक है।
इस बीच ईरान की ओर से विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने ट्वीट करते हुए कहा, “ईरान ने आत्मरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र चार्टर के आर्टिकल 51 के तहत कदम उठाए। हमने उन्हीं ठिकानों पर हमला किया जिनका इस्तेमाल हमारे नागरिकों और वरिष्ठ अफसरों को निशाना बनाने के लिए किया गया। उन्होंने कहा कि ईरान युद्ध नहीं चाहता लेकिन हम पर अगर आक्रमण हुआ तो हम अपनी रक्षा करेंगे। किन किसी भी आक्रमण के खिलाफ अपनी रक्षा करेंगे।
इस घटनाक्रम के बाद अब यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि क्या अमेरिका ईरान पर हमला कर सकता है। आज सुबह हुई ईरान की इस कार्रवाई के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के नेतृत्व में सिक्योरिटी एजेंसियों की बैठक बुलाई। अमेरिकी संविधान के अनुसार किसी भी तरह के सीधे सैन्य कार्रवाई की ताकत राष्ट्रपति और कांग्रेस (संसद) के बीच बंटी है। जहां संसद किसी भी देश के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर सकती है, वहीं राष्ट्रपति देश की सुरक्षा के लिए सेना के इस्तेमाल का आदेश दे सकता है।