नई दिल्ली। विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना में शुमार आयुष्मान कार्ड योजना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहराज्य गुजरात से एक बड़ा घोटाला सामने आया है। एक ही परिवार के 1700 आयुष्मान कार्ड बना दिये गये। बता दें कि देश के करीब 50 करोड़ लोगों को मुफ्त इलाज की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की। प्रधानमंत्री मोदी की महत्वकांक्षी योजना का उनके गृह राज्य गुजरात में ही बंटाधार हो गया। इस योजना के तहत जो फर्जीवाड़ा सामने आया है, वह बेहद ही चौंकाने वाला है। गुजरात में एक ही परिवार के पास 1700 आयुष्मान कार्ड मिले हैं।
अभी तक फर्जी कार्ड बनाकर पैसे वसूलने के ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तराखंड और झारखंड में सामने आए हैं। फिलहाल देशभर में 2 लाख से ज्यादा फर्जी कार्ड बनाने की बात सामने आई है।
ताजा मामला गुजरात के एक ही परिवार में 1700 आयुष्मान कार्ड हैं, वहीं छत्तीसगढ़ के एक परिवार के 57 लोगों ने इस योजना के तहत आंख की सर्जरी करवा ली। माना जा रहा है कि इस गड़़बझाले की विस्तृत जांच होने के बाद फर्जीवाड़े का खुलासा हो सकता है। मामला पीएमओ कार्यालय व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के पास पहुंच गया है।आयुष्मान कार्ड पर पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिलता है जिसका पैसा सरकार देती है।
आयुष्मान भारत में फर्जीवाड़े के कुछ और उदाहरण हैं जिनमें पंजाब में दो परिवार के नाम पर 200 कार्ड बना दिए गए।मध्य प्रदेश में एक परिवार के नाम पर 322 कार्ड बना दिए गए। उधर उत्तराखंड में भी आयुष्मान योजना में भारी घोटाले सामने आये। लेकिन यहाँ तो घोटाले के आरोपियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने की प्रक्रिया की चर्चा है।
आयुष्मान भारत प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना के तहत फर्जी स्वास्थ्य कार्ड जारी करने के आरोप में राजकोट में छह लोगों को गिरफ्तार किया गया था। एक अधिकारी ने बताया कि आरोपी ने राजकोट के एक सरकारी स्कूल में एक शिविर का आयोजन करके फर्जी कार्ड जारी किए और प्रत्येक व्यक्ति से 700 रुपये शुल्क लिए। एक अधिकारी ने बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर राजकोट नगर निगम के स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष जैमीन ठकर ने संबंधित स्थल पर छापा मारा और पुलिस को फोन किया।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना सितंबर 2018 में शुरू की गई थी। इस योजना के तहत देशभर में अबतक 70 लाख लोग इलाज करवा चुके हैं। सरकार ने इसके लिए 4592 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।