बड़कागांव। राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाली 28 वर्षीय अंबा कुछ महीने पहले तक दिल्ली में रहकर यूपीएसी की तैयारी कर रही थीं, लेकिन माता, पिता और भाई पर मामला दर्ज होने के बाद उन्हें परिस्थितिवश राजनीति में कदम रखना पड़ा. उन्होंने झारखंड के बड़कागांव विधानसभा सीट से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आजसू पार्टी के प्रत्याशी रोशनलाल चौधरी को हरा कर जीत दर्ज की।
बड़कागांव से कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल कर इतिहास रचनेवाली अंबा प्रसाद ने पिता योगेंद्र साव और मां निर्मला देवी के आंदोलन को न सिर्फ जिंदा रखा, बल्कि उनकी राजनीतिक विरासत को भी बचाए रखने में कामयाब हुईं। अंबा ने कभी साेचा भी न था कि वे विधायक बनेंगी, लेकिन माता- पिता के जेल जाने और राज्य बदर होने के बाद उन्हाेंने शपथ ली थी कि बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र में माता -पिता के अधूरे कार्यों को वे पूरा करेंगी। पिछले चार वर्षाें से वे क्षेत्र में सक्रिय रहीं। कार्मेल स्कूल से पढ़ाई करने के बाद 12वीं की पढ़ाई डीएवी स्कूल, हजारीबाग से पूरी की। 2009-12 में विभावि से एलएलबी की डिग्री हासिल करने के बाद संत जेवियर्स कॉलेज, रांची से 2012-14 में पीजीडीएम (एचआर) की डिग्री हासिल की। उसके बाद सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए दिल्ली चली गईं। इसी क्रम में कफन सत्याग्रह के दौरान माता निर्मला देवी और पिता योगेंद्र साव को जेल भेज दिया गया, ताे अंबा प्रसाद दिल्ली की पढ़ाई छोड़कर हजारीबाग लौट आई। फिर हजारीबाग कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू किया और माता -पिता पर दर्ज मुकदमों को उन्होंने देखना शुरू कर दिया।
काशीपुर में भी झारखंड की इस विधायक के प्रशंसकों ने खुशी जाहिर की और उनसे मुलाकात की साथ ही उन्हें झारखंड मंत्रिमंडल में शामिल करने की मांग की। मांग करने वालों में सोनू मेहरा राकेश यादव( नेताजी टोपी वाला) समेत तमाम कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल हैं।