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अजब गजब : माइनस 72 डिग्री तापमान में भी जी रहे ओइमाकान के निवासी, पलकों पर भी बर्फ जम जाती है जहां

पलकों पर भी बर्फ जम जाती है यहाँ

पूरी दुनिया में ठंड का कहर जारी है। एक तरफ जहां नायग्रा फॉल्स जमी हुई है तो वहीं कनाडा में जोरदार ठंड पड़ रही है। लेकिन एक ऐसी जगह है जहां दुनिया की सबसे ज्यादा ठंड पड़ रही है। जहां लोगों का रहना मुश्किल हो गया है। रूस के साइबेरिया में बर्फ की घाटी में एक गांव बसा है जहां सबसे ज्यादा ठंड पड़ रही है। इस गांव का नाम है ओइमाकॉन है। यहां का पारा -40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। इसे दुनिया का सबसे ठंडी जगह माना जाता है। इस गांव की कुल आबादी 500 है। 

यहां के लोगों का गुजर-बसर करना मुश्किल हो गया है। नदी से लेकर पेड़ सभी चीज जमी हुई है। सोशल मीडिया पर यहां की तस्वीरें काफी वायरल हो रही हैं। बता दें, ओइमाकॉन का मतलब होता है, ऐसी जगह जहां पानी जमता नहीं हो, लेकिन यहां पानी से लेकर इंसान भी जम गया है। यहां सबसे कम तापमान -72 डिग्री रिकॉर्ड किया गया था। इस जगह को ‘पोल ऑफ कोल्ड’ भी कहा जाता है। 

मकान बर्फ से ढके

यहां जबरदस्त ठंडी की वजह से यहां जमीन इतनी सख्त हो जाती है कि उसे आग जला कर नरम करना पड़ता है। हर दिन काम खत्म करते हुए गड्ढे के कोने में सुलगता कोयला रख दिया जाता है ताकि बर्फ से गड्ढा भर न जाए। तीन दिन की मेहनत के बाद ही यहां मरने वाले को कब्र नसीब होती है। लोग 20-20 मिनट की शिफ्ट में काम करते हैं क्योंकि इससे ज्यादा वक्त तक काम करने पर जिस्म का हाड़-मांस जमकर बर्फ बन सकता है। जी हां, यहां कब्र खोदने से लेकर सांस लेने तक के लिए खास ऐहतियात बरतना जरूरी है वर्ना जमजाने का खतरा हमेशा बना रहता है।

जनवरी के महीने में आमतौर पर यहां पर औसत तापमान माइनस 50 डिग्री के आसपास बना रहता है। यहां पर सबसे कम तापमान -71.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था। ये इंसानों की बस्ती वाली दुनिया की सबसे ठंडी जगह है। ओइमाकॉन को इसीलिए पोल ऑफ कोल्ड यानी ठंडा ध्रुव भी कहा जाता है। जब ठंड कुछ कम होती है तो कभी-कभी सूरज आसमान पर दिखाई दे जाता है। लेकिन उसकी गर्मी लोगों को महसूस नहीं होती क्योंकि यहां पड़ी बर्फ की मोटी चादर सूरज की किरणों को वापस वायुमंडल की तरफ फेंक देती है।

आइमोकॉन एक छोटा सा गांव है, जहां बमुश्किल 500 लोग ही रहते हैं। ये लोग हर दिन जिंदगी से जूझते है। यहां देखते ही देखते पानी जम जाता है, चेहरा बर्फ से ढंक जाता है। फिर भी यहां लोग बसे हुए हैं। आइमोकॉन तक इस सूबे की राजधानी याकुत्स्क से दो दिन की यात्रा करने के बाद पहुंचा जा सकता है। याकुत्स्क दुनिया का सबसे ठंडा शहर है लेकिन आइमोकॉन का सर्द मौसम उससे भी चार कदम आगे है। यहां की सर्द जिंदगी इतनी मुश्किल है कि दौड़ने भागने जैसे सामान्य काम भी करने के लिए हिम्मत जुटानी पड़ती है और जरा सी लापरवाही से भी जान जोखिम में पड़ जाती है।

टूर एंड ट्रैवेल कंपनी याकुत्स्क से आइमोकॉन लोगों को सैर कराने के लिए लेकर आती हैं। ताकि लोग महसूस कर सकें कि दुनिया की सबसे ठंडी रिहाइश में जिंदगी कैसी है। लोगों के लिए ये जगह सैर की हो सकती है लेकिन यहां के लोगों के लिए ये ठंडे नर्क से कम नहीं है। यहां पर सिर्फ एक दुकान है, जिंदगी की आस वो ट्रक हैं, जो रोजमर्रा के सामान दुनिया के इस कोने तक पहुंचाते हैं।

आइमोकॉन तक बर्फ से पटे हाईवे पर ट्रक की ये सफर खतरे से भरपूर होता है। ट्रक का रास्ते में खराब हो जाना आफत से कम नहीं है। इंजन रुकते ही अक्सर जम जाता है। उसे दोबारा स्टार्ट करने के लिए आग की जरूरत पड़ती है। ट्रकों ही नहीं गाड़ियों को भी यहां पर लगातार स्टार्ट की हालात में छोड़ दिया जाता है ताकि वो बंद न हो जाएं।

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