@शब्द दूत ब्यूरो
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कवायद शुरू हो गई है। 25 दिसंबर तक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा होनी मानी जा रही है। सूत्रों की मानें तो वर्तमान में पार्टी के वरिष्ठ विधायक बंशीधर भगत प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं।दरअसल प्रदेश अध्यक्ष के मामले में कुमाऊं का पलड़ा भारी है।
अभी तक यही फार्मूला अपनाया जाता रहा है कि सत्ता की बागडोर अगर गढ़वाल के नेता के हाथ में है तो संतुलन बनाए रखने के लिए प्रदेश अध्यक्ष कुमाऊं से बनाया जाता है। ऐसे में कुमाऊं के तमाम भाजपा नेता प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शामिल हो गए हैं। मंडी परिषदके अअध्यक्ष गजराज बिष्ट बीते दिनों काशीपुर में अपनी इच्छा जाहिर कर चुके हैं तो बंशीधर भगत, नवीन चंद दुम्का के अलावा युवाओं में पुष्कर सिंह धामी और सुरेंद्र सिंह जीना के नाम भी प्रदेश अध्यक्ष के दावेदारों में माने जा रहे हैं।
उधर आरएसएस की ओर से कैलाश पंत केदार जोशी, सुरेश जोशी और बलराज पासी, राजू भंडारी को भी दौड़ में माना जा रहा है।उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धनसिंह रावत गढ़वाल से एकमात्र ऐसा नाम है जिसे प्रदेश अध्यक्ष की दावेदारों में शुमार किया गया है। प्रदेश अध्यक्ष के मनोनयन में 2022 के चुनाव को ध्यान में रखा जायेगा। पार्टी के लंबे समय से विधायक रहे वरिष्ठ भाजपा नेता बंशीधर भगत इस दौड़ में सबसे आगे फिलहाल चल रहे हैं।
वैसे भी केन्द्रीय मंत्री मंडल में कुमाऊं से किसी को शामिल न करने को लेकर भी भाजपा संतुलन साधना चाह रही है। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष का पद कुमाऊं के ही भाजपा नेता को दिया जा सकता है इस बात की संभावनाएं ज्यादा है। हाईकमान ने केंद्रीय नेताओं को अध्यक्ष पद के लिये प्रदेश में रायशुमारी के लिए भेजा है। जिन्होंने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से भी प्रदेश अध्यक्ष के नाम को लेकर चर्चा की। सीएम के अलावा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, मदन कौशिक, हरक सिंह रावत, डॉ. धनसिंह रावत समेत पूर्व मुख्यमंत्रियों से भी रायशुमारी की।
कुछ भाजपा नेताओं के बाहर होने की वजह से उनसे टेलीफोन पर राय ली गई।रायशुमारी के बाद दोनों केंद्रीय नेता राष्ट्रीय संगठन को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे। उनकी रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय नेतृत्व फैसला लेगा और उसके बाद केंद्रीय पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में नए अध्यक्ष के सर्वसम्मति से निर्वाचन की घोषणा कर दी जाएगी। कोर ग्रुप के नेताओं से रायशुमारी के बाद अब नए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। संगठन से जुड़े सूत्रों के अनुसार, जातीय व क्षेत्रीय समीकरण के हिसाब से कुमाऊं का पलड़ा भारी माना जा रहा है।