नई दिल्ली। जमरानी बांध परियोजना के संबंध में हुई बैठक में बांध निर्माण के सभी अवरोध दूर हो गये हैं। इस बांध परियोजना को वित्त मंत्रालय की मंजूरी भी मिल गई है। जल्द ही सिंचाई विभाग बांध निर्माण का काम शुरू करेगा।
बांध निर्माण के संबंध में हुई बैठक में उत्तराखंड की सिंचाई सचिव डॉ. भूपिंदर कौर औलख सहित सिंचाई विभाग के कई अधिकारी मौजूद रहे। बता दें केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने हस्ताक्षर कर पर्यावरण की अंतिम मंजूरी भी दे दी थी।
बांध बनाने के लिए अब नई तकनीक का प्रयोग होने लगा है। नई तकनीक से बांध का निर्माण जल्द हो जाता है लेकिन जमरानी परियोजना में बांध निर्माण से ज्यादा प्लानिंग का काम अधिक है। इस परियोजना की प्लानिंग में बहुत अधिक समय लगने की संभावना है।
130 मीटर लंबे इस बांध के निर्माण में पांच माह का समय लगने की संभावना जताई जा रही है। लेकिन निर्माण सेपहले आवश्यक संसाधन जुटाने, संयंत्र, स्टोरेज, मैटीरियल डिपो, लेबर, आवास, परिवहन, फूड मैटीरियल आदि की व्यवस्थाओं और प्लानिंग करना बड़ी चुनौती है। बांध निर्माण से पूर्व इन सभी व्यवस्थाओं को पूरा कराने के लिए बेहद संजीदगी से प्लानिंग की जानी है। इन ढांचागत सुविधाओं के जुटा लेने के बाद ही बांध निर्माण किया जाएगा। इन सभी सुविधाओं को प्लानिंग में करीब तीन या चार साल लग सकते हैं।
अधिकारियों के मुताबिक सिंचाई विभाग की जमरानी, दमुवाढूंगा, बालाझाला और गौला में अपनी संपत्तियां और विभागीय आवास हैं। बांध निर्माण से पूर्व इस संपत्तियों और आवासों के उपयोग पर भी विचार विमर्श किया जाएगा।
जमरानी बांध परियोजना को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के बाद मंगलवार को केंद्र सरकार के नमामि गंगे परियोजना की ओर से भी एनओसी मिल गई है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने भी एनओसी दिए जाने का आश्वासन दिया है।