अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमरीकी आयोग (यूएससीआईआरएफ़) ने भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक को पास किए जाने पर चिंता जताई है। आयोग ने कहा है कि अगर ये विधेयक संसद से पास हो जाता है, तो अमरीकी सरकार को भारत के गृह मंत्री अमित शाह और अन्य प्रमुख नेताओं पर प्रतिबंध लगाने के बारे में विचार करना चाहिए।
बता दें कि लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पास हो गया। अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। इस विधेयक में बांग्लादेश, अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान के छह अल्पसंख्यक समुदायों-हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख से ताल्लुक़ रखने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है।
अमरीकी आयोग का कहना है कि कैब भारत के सेक्युलर इतिहास और भारतीय संविधान के ख़िलाफ़ है, जो बिना किसी धार्मिक भेदभाव के समानता की गारंटी देता है। आयोग का कहना है कि कैब के साथ असम में एनआरसी की प्रक्रिया चल ही रही है. भारत के गृह मंत्री अमित शाह इसे पूरे भारत में लागू करना चाहते हैं।
आयोग को इस बात का डर है कि भारत में भारतीय नागरिकता के लिए धार्मिक टेस्ट पास करना होगा, जिससे लाखों मुसलमानों की नागरिकता जा सकती है। पहली बार जनवरी 2019 में लोकसभा में कैब पास हुआ था। लेकिन विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए सरकार ने राज्यसभा में वोट से पहले इसे वापस ले लिया।
देर तक चली बहस के भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा में वोटिंग हुई जिसमें विधेयक के पक्ष में 311 वोट पड़े जबकि विपक्ष में 80 वोट पड़े। विधेयक पास होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुशी ज़ाहिर की और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की तारीफ़ करते हुए कहा कि ये भारत की सदियों पुरानी परम्परा और मानवीय मूल्यों में विश्वास के अनुरूप है।
लेकिन लोकसभा में चर्चा के दौरान विधेयक की प्रति फाड़ने वाले एआईएमआईएम के सांसद असदउद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा-आधी रात को एक झटके में, जब पूरी दुनिया सो रही थी, स्वतंत्रता, बराबरी, भाईचारा और इंसाफ़ के बारे में भारत के आदर्श के साथ धोखा किया गया। कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध किया है और इसे भारतीय संविधान की भावना के ख़िलाफ़ बताया है, जबकि सरकार इन आरोपों से इनकार करती है।