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ब्रेकिंग : हरिद्वार में मिला दिल्ली के पत्रकार का शव, दो दिन से थे लापता

अनुज गुप्ता फाइल फोटो

हरिद्वार। हरिद्वार में लापता हुए दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार अनुज कुमार गुप्ता का शव पथरी पवार हाउस गंग नहर से पुलिस ने बरामद कर लिया है। पुलिस इसे आत्महत्या का मामला मान रही है क्योंकि जिस गेस्ट हाउस में अनुज कुमार गुप्ता रुके थे उनके रूम से खून के निशान बेड, तकिए और बाथरूम में थे। मगर अनुज कुमार गुप्ता रूम में मौजूद नहीं थे।

पुलिस द्वारा जब गेस्ट हाउस में लगे सीसीटीवी कैमरे को खंगाला गया तो देर गेस्ट हाउस से अनुज कुमार गुप्ता जाते हुए नजर आए। पुलिस ने आसपास लगे सीसीटीवी कैमरेे को भी खंगाला। गेस्ट हाउस के पास सिंहद्वार चौक पर पुलिस द्वारा जब पूछताछ की गई तो स्थानीय लोगों द्वारा देर रात एक व्यक्ति के गंगा में कूदने की बात बताई गई। इसको लेकर पुलिस ने गंग नहर में सर्च अभियान चलाया तो पथरी पावर हाउस से अजय कुमार गुप्ता का शव बरामद हुआ।

अनुज कुमार गुप्ता के हरिद्वार जीएसए गेस्ट हाउस से संदिग्ध परिस्थिति में लापता होने के बाद हरिद्वार पुलिस में भी हड़कंप मच गया था। पुलिस ने आसपास लगे तमाम सीसीटीवी कैमरे को भी खंगाला और लोगों से भी पूछताछ की। पुलिस ने अनुज कुमार गुप्ता का शव को पथरी पावर हाउस से बरामद कर लिया एसपी सिटी कमलेश उपाध्याय का कहना है कि पुलिस को गेस्ट हाउस मैनेजर द्वारा सूचना दी गई थी कि गेस्ट हाउस में ठहरे अनुज कुमार गुप्ता द्वारा चेकआउट का समय होने के बाद भी रूम नहीं खोला गया है।

पुलिस को अनुज कुमार गुप्ता का शव तलाश करने में सीसीटीवी कैमरे ने भी अहम योगदान निभाया क्योंकि अनुज कुमार गुप्ता द्वारा गेस्ट हाउस से बाहर आकर सिंहद्वार पुल से गंग नहर में छलांग लगाई गई। अनुज कुमार गुप्ता के हाथ में ब्लेड से काटने के भी निशान पाए गए हैं। अब दिल्ली पुलिस के साथ हरिद्वार पुलिस भी इस मामले की जांच कर रही है जांच के बाद ही सामने आएगा आखिर इस आत्महत्या का कारण क्या था।

 छत्तीसगढ़ में कोरबा के मूल निवासी अनुज गुप्ता नागपुर से पब्लिश होने वाले ‘नवभारत’ अखबार के दिल्ली में ब्यूरो चीफ थे। पूर्व में वह ‘जनसत्ता’ चंडीगढ़ में भी काम कर चुके थे। अनुज गुप्ता के परिवार में पत्नी, बेटी और बेटा है।

अनुज गुप्ता को करीब से जानने वालों का कहना है कि उन्हें ज्ञान अर्जन का काफी शौक था। नई-नई चीजों को जानने की उत्सुकता के चलते वह हमेशा कुछ न कुछ पढ़ते रहते थे। यही कारण था कि उनके हाथ में अक्सर कोई न कोई किताब रहती थी।

 

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