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किलर्स नाइट : 3 दिसंबर भारत का पाक पर हमला, भारतीय सेना की विजय गाथा

शब्द दूत विशेष

1971 का यह युद्ध (विजय दिवस) होता ही नहीं अगर पाकिस्तान अपनी मूर्खता न दिखा देता। 3 दिसंबर को इंदिरा गांधी पश्चिम बंगाल में एक जनसभा को संबोधित करने गई थीं। इसी दौरान शाम 5.40 के करीब पाकिस्तानी वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने पठानकोट, श्रीनगर , अमृतसर, जोधपुर, आगरा में वायुसेना हवाई अड्डों पर बम बरसा दिया।

युद्ध के पूर्वानुमान के कारण हम उस समय अपने विमानों को बंकर में रखते थे। जिससे ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। जब इंदिरा वापस लौटीं तो उन्होंने तुरंत सेना के अफसरों और कैबिनेट के साथ मीटिंग की। इसी शाम इंदिरा गांधी ने रेडियो से देश के नाम संदेश दिया कि यह वायु हमले पाकिस्तान की ओर से भारत को खुली चुनौती है। 3 दिसंबर की रात को ही भारतीय वायुसेना ने जवाबी कार्रवाई कर दी।

जब पाकिस्तान ने  03 दिसंबर की शाम अपने विमानों से भारत की विमान पट्टियों पर हमले किए तो भारत ने युद्ध की घोषणा कर दी, उसके बाद 13 दिनों में भारत ने ना केवल ये लड़ाई जीती बल्कि पाकिस्तान के दो टुकड़े करके बांग्लादेश के रूप में नए राष्ट्र को जन्म दिया।

03 दिसंबर की शाम जब पाकिस्तान की वायुसेना ने भारत की कुछ हवाई पट्टियों पर हमला किया तो इसके तुरंत बाद भारत ने युद्ध की घोषणा कर दीी। भारतीय फौजों ने इसका जवाब दो मोर्चों पर हमला करके दिया। रात में भारतीय नेवी ने जहां कराची का पाकिस्तान का नेवी मुख्यालय नष्ट कर दिया तो भारतीय सेना रणनीति के साथ बांग्लादेश की सीमा में घुसी। लगभग 15 हजार किलोमीटर के दायरे को अपने कब्जे में ले लिया। इस हमले से पूर्वी पाकिस्तान में मौजूद दुश्मन देश की सेना हतप्रभ रह गई। दोनों देशों के बीच लड़ाई में लगभग 4 हजार सैनिक मारे गए। लड़ाई महज 13 दिनों तक चली। इसके बाद दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था। इसी के साथ पाकिस्तान दो टुकड़ों में बंट गया और बांग्लादेश का जन्म हुआ।
हालांकि इस लड़ाई के बीज नौ महीने पहले ही पड़ गए थे, जब पाकिस्तान के तानाशाह याह्या खान ने पूर्वी पाकिस्तान के बंगालियों पर जुल्म ढाने शुरू किये। जब यहां के लोकप्रिय नेता शेख मुजीबुर्रहमान ने चुनाव जीता, तो ना केवल इस चुनाव को खारिज कर दिया गया बल्कि उन्हें जेल में डाल दिया गया । इसके बाद जिस तरह पाकिसतानी सेना जिस तरह वहां कत्लेआम करने में लगी थी, उससे लाखों लोग भागकर भारत में आने लगे। भारत ने पाकिस्तान के साथ अमेरिका से अपील की कि स्थिति सुधारी जाए,क्योंकि इसका असर भारत पर पड़ा रहा है।
तब के पूर्वी पाकिस्तानवासियों का मानना है कि इस दौरान बर्बर सेना ने 30 लाख से भी ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।

जब भारत ने अमेरिका और पाकिस्तान से लोकप्रिय नेता शेख मुजीबुर्रहमान को जेल से आजाद करने की मांग की तो इसे अनसुना कर दिया गयाा। लेकिन हालात ऐसे थे कि भारत के लिए सारे हालात को झेलना मुश्किल हो रहा था। बड़े पैमाने पर शरणार्थियों के आने से अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ रहा था। 

उस वक्त भारत की लीडरशिप इंदिरा गांधी के नेतृत्व में स्ट्रांग थी, जबकि पाकिस्तान में सैनिक तानाशाह याहया खान बेहतर फैसले लेने में उतना सक्षम नहीं था। भारत ने अमेरिका से दो-टूक कह दिया कि अगर पाकिस्तान नहीं मानता तो युद्ध के अलावा कोई चारा शेष नहीं रह जाएगा। इस बात का खतरा था कि अमेरिका अपना सातवां बेड़ा हिन्द महासागर में भेज देगा, जिससे भारत मुश्किल में पड़ सकता है, इससे निपटने के लिए इंदिरा गांधी ने सोवियत संघ से बातचीत की। सोविय़त संघ भारत के साथ आकर खड़ा हो गया। 

भारत ने ईस्ट पाकिस्तान में तेजी से वॉर कर तीन दि
भारत ने ईस्ट पाकिस्तान में तेजी से वॉर कर तीन दिन में ही एयर फोर्स और नेवल विंग को तबाह कर दिया। इस वजह से ईस्ट पाकिस्तान की राजधानी ढाका में पैराट्रूपर्स आसानी से उतर गए, जिसका पता जनरल एएके नियाजी को 48 घंटे बाद लगा। 

पाकिस्तान में डिसीजन टेकिंग पावर सिर्फ हायर ले
पाकिस्तान में डिसीजन टेकिंग पावर सिर्फ हायर लेवल पर सेंट्रलाइज थी। इस वजह से कोई फैसला नीचे तक आने में वक्त लगता था। इस वजह से पाकिस्तान तेजी से कोई स्ट्रेटजी नहीं बना पाया। भारत में चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ मानेकशाॅ ने फैसले लेने का पावर दोनों कोर कमांडरों को दिया था। भारतीय सेना तेजी से निर्णय लेकर हमले कर सकी।

पाकिस्तान को अंत तक भारत की स्ट्रैटजी का पता नहीं चल पाया। उसने सोचा था कि भारत की सेना ईस्ट पाकिस्तान में नदियों को पार कर ढाका तक नहीं पहुंच पाएगी। वह बॉर्डर पर ही उलझे रहेंगे। यह उसकी भूल साबित हुई।भारतीय सेना ने पैराट्रूपर्स की मदद से ढाका को ही घेर लिया। वहीं बांग्लादेश के स्वंत्रतता सेनानियों की सेना मुक्ति वाहिनी की मदद से भारतीय सेना, ईस्ट पाकिस्तान के बार्डर से अंदर तक घुस गई।

13दिनों में भारत ने पाकिस्तान से लड़ाई जीत ली। पाकिस्तान के हुक्मरानों ने घुटने टेक दिये। पाकिस्तान आज भी इस हार को भुला नहीं पाता है। भारत की इस जीत के साथ ही पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए। पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश के रूप में आजाद हो गया. इसे सबसे पहले भूटान ने मान्यता दी. फिर भारत ने।

भारतीय नौसेना में किलर्स नाइट का खास मतलब है। यही वो रात थी जब हमारी नौसेना ने अपने बल 1971 में कराची बंदरगाह को तबाह कर दिया था। भारतीय नौसेना पर पाकिस्तान वायुसेना द्वारा हमला करना उन्हें बहुत भारी पड़ा था। उसी रात की याद में भारतीय नौसेना हर साल 03 दिसंबर को किलर्स नाइट मनाती है। ये रात हमारे लिए गर्व की रात भी है।

03 दिसंबर 1971 को जब पूर्वी पाकिस्तान में लड़ाई के हालात बनने लगे थे। भारतीय सेनाएं पूर्वी पाकिस्तान में घुसने के लिए करीब करीब तैयार थीं। बस उन्हें भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के संकेत का इंतजार था। पाकिस्तान ने खुद ही 03 दिसंबर को वो आफत बुला ली, जिसके लिए भारत तैयार था। उसे अंदाज था कि पाकिस्तान ये हरकत करने वाला है।

03 दिसंबर की पाकिस्तान की वायुसेना ने भारत के छह भारतीय एयरफील्डस पर हमला किया। तनाव चरम पर पहुंच गया। कुछ ही देर में भारत ने युद्ध की घोषणा कर दी। भारतीय नौसेना तुरंत पाकिस्तान को मजा चखाने के लिए रणनीति बनाने पर जुट गई। 

तुरत-फुरत भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के नौसैना के मुख्यालय कराची पर हमले की रणनीति बनाई। कराची पर हमले की सारी तैयारी हो गई। रात में गुजरात के ओखा से भारतीय नौसेना की एक टुकड़ी हमले के लिए चल पड़ी। इसमें तीन विद्युत क्लास मिसाइल बोट, दो एंटी सबमरींस और एक टैंकर विद्युत क्लास बोट से हमला किया जाना था।
रात10.30 बजे भारतीय नौसेना की ये टुकड़ी हमले के लिए तैयार थी। इशारा मिलते ही जब हमला शुरू हुआ तो पाकिस्तान की समझ में ही नहीं आया कि क्या किया जाए. पाकिस्तान के पास इसका कोई जवाब नहीं था।उसके पास ऐसे विमान भी नहीं थे, जो बम के जरिए रात में हमले का जवाब दे पाते। INS निपट और INS निर्घट ने पाकिस्तान के पीएनएस खैबर युद्धक पोत और एमवी वीनस चैलेंजर जहाज को मिसाइल मारकर डुबा दिया।चैलेंजर में पाकिस्तान सेना और वायुसेना के काफी बड़े पैमाने पर हथियार लदे हुए थे।

इसके बाद तोपों की बारिश से कराची बंदरगाह धू-धूकर जलने लगा. कराची बंदरगाह का तेल डिपो देखते ही देखते नष्ट हो चुका था. जब पाकिस्तानी जहाज मुहाफिज टकराने के लिए आगे बढ़ा तब भारतीय नौसेना ने मिसाइल से मार से उसे डूबो दिया. ये सारा आपरेशन भारतीय नौसेना की इस टुकड़ी महज डेढ़ घंटे यानि 90 मिनट में कर लिया. जब तक पाकिस्तान कुछ समझता, उसका कराची हेडक्वार्टर तबाह हो चुका था।

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