देहरादून। इधर अप्रैल 2020 में उत्तराखंड में वेलनेस समिट की तैयारी है। जिसमें कई देशों के प्रतिनिधि उत्तराखंड में निवेश की संभावनाओं पर विचार करेंगे। उधर एक या दो साल से कोई ब्यौरा उपलब्ध न कराने वाली उत्तराखंड की 81 कंपनियों पर कारपोरेट कार्य मंत्रालय के दून कार्यालय ने ताला लगा दिया है। लगातार तीसरे साल मंत्रालय ने ऐसी कंपनियों पर कार्रवाई की है।
कारपोरेट कार्य मंत्रालय के रजिस्ट्रार एवं शासकीय समापन कार्यालय के तहत उत्तराखंड की 7866 कंपनियां पंजीकृत हैं। इन कंपनियों की पड़ताल लगातार तीन साल से चल रही है। मंत्रालय का दून स्थित कार्यालय इस वित्तीय वर्ष में अभी तक 81 कंपनियों को लापरवाही बरतने पर बंद कर चुका है। इनमें से एक तो वह कंपनियां हैं, जो स्थापित होने के एक साल तक भी कोई काम शुरू नहीं कर पाई।
दूसरी वह कंपनियां हैं जो दो साल से मंत्रालय के कार्यालय में कोई ब्यौरा ही उपलब्ध नहीं करा रही हैं। देहरादून से इनकी बंदी की फाइल तैयार कर केंद्रीय कारपोरेट मंत्रालय को भेज दी गई है। जल्द ही इसका नोटिफिकेशन जारी हो जाएगा। आपको बता दें कि कारपोरेट कार्य मंत्रालय का रजिस्ट्रार एवं शासकीय समापन कार्यालय पहले कानपुर से चलता था। अक्तूबर 2018 में उत्तराखंड की कंपनियों के लिए अलग से दफ्तर खोल दिया गया था।
वर्ष 2017 में 787 कंपनियों पर ताला लगा। जबकि 2018 में 377 कंपनियां बंद हुईं। जबकि इस वर्ष के अंत में कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय ने 81 कंपनियों पर ताले जड़ दिए।
उत्तराखंड में कुल पंजीकृत कंपनियों की संख्या 7866 है। जबकि इनमें कुल कार्य कर रही कंपनियों की (31 मार्च 2019 तक) संख्या 5393 ही है।
दरअसल, कोई भी कंपनी बनने के बाद उसका पंजीकरण मंत्रालय में कराना जरूरी होता है। पंजीकरण होने के बाद कंपनी को एक साल के भीतर काम शुरू करना अनिवार्य है। इसके अलावा हर साल बैलेंसशीट सहित पूरा ब्यौरा कारपोरेट मंत्रालय के दफ्तर में अपडेट कराना भी जरूरी है। ऐसा न होने की सूरत में कंपनी बंद की जा सकती है।
रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज कम ऑफिसियल लिक्वीडेटर बीके केन ने कहा “हम लगातार कंपनियों की जांच पड़ताल कर रहे हैं। जो कंपनियां काम नहीं कर रही हैं या फिर अपना डाटा उपलब्ध ही नहीं करा रही हैं, उन्हें सीधे तौर पर बंद करने का प्रावधान है। इसी के तहत इस साल अब तक 81 कंपनियां बंद गई हैं।”