@शब्ददूत ब्यूरो
देहरादून/काशीपुर । गैरसैंण में शीतकालीन सत्र न कराने को लेकर सियासत तेज हो गई है। चार दिसंबर को जब देहरादून में शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा होगा तो पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत गैरसैंण में सांकेतिक उपवास पर बैठेंगे। अपने चौंकाने वाले तौर-तरीकों से जनता का ध्यान अपनी ओर बनाए रखने में माहिर हरीश रावत ने अब चार दिसंबर को गैरसैंण में सांकेतिक उपवास पर बैठने का ऐलान किया है।
बता दें कि चार तारीख से होने वाला विधानसभा का सत्र देहरादून में होगा लेकिन इसके ऐलान के साथ ही इसे लेकर राजनीति शुरु हो गई थी। शुरुआत की थी विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने जिन्होंने कहा कि साल में एक सत्र तो गैरसैंण में होना ही चाहिए और चूंकि इसा साल कोई भी सत्र गैरसैंण में नहीं हुआ है इसलिए शीतकालीन सत्र को गैरसैंण में करने पर विचार करना चाहिए।
सरकार ने स्पीकर के इस सुझाव को खारिज करते हुए कहा कि गैरसैंण में ठंड के मौसम में कुछ बुजुर्ग विधायकों को समस्या हो सकती है और विधायकों के कहने पर ही गैरसैंण में सत्र आयोजित न करने का फ़ैसला किया गया है। मुख्यमंत्री की इस बात का समर्थन नेता विपक्ष इंदिरा हृदयेश ने किया और कहा कि इस विषय पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, गैरसैंण में ठंड में काम नहीं हो सकता।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसका प्रतिकार करते हुए इसे पहाड़ में रहने वाले लोगों का अपमान बताया। उन्होंने यह भी पूछा कि दूसरे पहाड़ी राज्यों की राजधानियों में काम नहीं होता क्या। हरीश रावत ने यहां तक कह दिया था कि जो विधायक गैरसैंण नहीं जा सकते उन्हें विधायक बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
अपनी फ़ेसबुक पोस्ट में सत्र की शुरुआत के दिन गैरसैंण जाने का ऐलान करते हए हरीश रावत ने लिखा, “सरकार कहती है कि हमारे विधायकों को गैरसैंण में ठंड लग जाती है तो मैंने तय किया है कि नहीं ठंड नहीं लगती। गैरसैंण हमारी आत्मा और भावनाओं में गर्माहट पैदा करता है, यह सिद्ध करने के लिए मैं उपवास पर बैठूंगा।”
उधर काशीपुर पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि मैं 72 वर्ष की आयु में गैरसैंण जा सकता हूँ तो मुख्यमंत्री का ठंड को कारण बताना हास्यास्पद लगता है।