Breaking News

देहरादून :₹87.50 करोड़ की सरकारी वसूली पर सवाल: तहसीलदार के ‘आउट ऑफ टाउन’ होने से टली कार्रवाई, प्रशासनिक लापरवाही पर उठे गंभीर प्रश्न

@शब्द दूत ब्यूरो (15 दिसंबर 2025)

देहरादून। उत्तराखंड सरकार द्वारा सुभारती समूह से ₹87.50 करोड़ की वसूली के लिए राजस्व वसूली की प्रक्रिया (धारा 280) शुरू की जा चुकी है। जिलाधिकारी स्तर से आदेश जारी होने के बाद यह मामला नियत तिथि 15 तारीख को तहसील/रिकवरी ऑफिसर के समक्ष प्रस्तुत होना था, लेकिन कार्यवाही आगे नहीं बढ़ सकी।

जानकारी के अनुसार निर्धारित तिथि पर सुभारती समूह के जिम्मेदार लोग उपस्थित नहीं हुए, वहीं तहसीलदार द्वारा स्वयं के “आउट ऑफ टाउन” होने का हवाला देते हुए कार्यवाही को 15 से बढ़ाकर 17 तारीख कर दिया गया। हैरानी की बात यह रही कि

न तो किसी वैकल्पिक अधिकारी की नियुक्ति की गई,न ही डिफॉल्टर पक्ष के विरुद्ध कोई कोर्सिव (दबावात्मक) कार्रवाई की गई।इस पूरे घटनाक्रम ने प्रशासनिक कार्यशैली और राज्य के राजस्व हितों को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

कानूनी जानकारों के अनुसार राजस्व कानून के तहत तहसीलदार की अनुपस्थिति में अन्य तहसीलदार, नायब तहसीलदार या एसडीएम को तत्काल वसूली कार्यवाही के लिए नामित किया जा सकता है।

₹87.50 करोड़ जैसी बड़ी राशि की वसूली में “आउट ऑफ टाउन” होना कोई वैध आधार नहीं माना जा सकता।वसूली की प्रक्रिया व्यक्ति नहीं, पद आधारित होती है।विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में कार्रवाई न होना कर्तव्य में लापरवाही  की श्रेणी में आता है और प्रभावशाली डिफॉल्टरों को संरक्षण देने की आशंका को जन्म देता है।

इस प्रकरण को लेकर आमजन और करदाताओं के बीच कई सवाल उठ रहे हैं। क्या एक अधिकारी की अनुपस्थिति से इतनी बड़ी सरकारी वसूली रुक सकती है?वैकल्पिक अधिकारी की नियुक्ति क्यों नहीं की गई?क्या जानबूझकर तारीख बढ़ाकर डिफॉल्टर को लाभ पहुंचाया गया?

मामले की गंभीरता को देखते हुए यह मांग उठ रही है कि संबंधित तहसीलदार से लिखित स्पष्टीकरण लिया जाए। जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि वैकल्पिक अधिकारी क्यों नियुक्त नहीं हुआ? वसूली में देरी के लिए जिम्मेदारी तय की जाए,और आवश्यकता पड़ने पर विजिलेंस अथवा जांच एजेंसी से मामले की जांच कराई जाए।

₹87.50 करोड़ की सरकारी वसूली में कार्रवाई का टलना कोई साधारण प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि एक गंभीर घटना है।
जनता और करदाताओं का पैसा किसी एक अधिकारी की उपलब्धता पर निर्भर नहीं हो सकता। यह प्रकरण प्रशासनिक जवाबदेही और पारदर्शिता की सख्त परीक्षा बनकर सामने आया है।

Check Also

रामभक्ति का महाप्रसाद: अयोध्या की सीता रसोई में प्रतिदिन 40 हजार, पर्वों पर 60 हजार से अधिक श्रद्धालु कर रहे प्रसाद ग्रहण, शब्द दूत की खास वीडियो रिपोर्ट देखिए

🔊 Listen to this @शब्द दूत ब्यूरो (15 दिसंबर 2025) अयोध्या। अयोध्या स्थित रामलला का …

googlesyndication.com/ I).push({ google_ad_client: "pub-